अपने पीछे चलो और अपने परमात्मा को पहचान लो - ओशो
ओशो अपने पीछे चलो और अपने परमात्मा को पहचान लो - ओशो कौन यह कहता है, जो क्राइस्ट को अनुभव हुआ है, वह आपको अनुभव नहीं हो...
ओशो अपने पीछे चलो और अपने परमात्मा को पहचान लो - ओशो कौन यह कहता है, जो क्राइस्ट को अनुभव हुआ है, वह आपको अनुभव नहीं हो...
मनुष्य खुद की ही बनायी हुई जंजीरों में जकडा हुआ है - ओशो रोम में एक बहुत अदभुत लोहार हुआ। उसकी बड़ी क्रांति थी, सारे जगत म...
जो जोड़ता है, वह आनंद को उपलब्ध होता है - ओशो बुद्ध एक पहाड़ के करीब से गुजरते थे। एक हत्यारे ने वहां प्रतिज्ञा कर रखी थी...
स्वं का होना ही असली होना है - ओशो ऐसा एक दफा हुआ, ऐसी एक घटना घटी। चार्ली चेप्लिन को उसके जन्म दिन पर, एक विशेष जन्म दिन प...
अगर सत्य मिलना होगा तो एक ही स्मरण में, एक ही प्रवेश में पर्दा टूट जायेगा - ओशो एक साधु हुआ है, वह तो कोई फकीर नहीं था, क...
मंदिर वही है जो हमारे भीतर है, जो मंदिर भीतर नहीं हैं, वह झूठा है - ओशो किसी देश में एक साधु को कुछ लोगों ने जाकर कहा, क...
जीवन वही हो जाता है, जिस भाव को लेकर हम जीवन में प्रविष्ट होते हैं - ओशो एक छोटी-सी कहानी से मैं अपनी बात शुरू करना चाहता हूं। ...
धर्म की कोई शिक्षा नहीं होती, धर्म की तो साधना होती है - ओशो मैं एक गांव में गया। वहां एक अनाथालय भी देखने गया। वहां कोई पचास बच्चे ...
मौन हमारा स्वभाव है - ओशो अनिषदों के समय में एक युवक सत्य की तलाश मग गया। उसने अपने गुरु के चरणों में सिर रखा और कहा, सत्य को पाना च...
धर्म से बड़ा विज्ञान इस जगत में दूसरा नहीं है - ओशो श्रद्धा धर्म के लिए आधार नहीं रह जानी चाहिए। ज्ञान, विवेक, शोध को धर्म का अंग ह...
जिसे हम जीवन समझ रहे हैं, वह जीवन नहीं है - ओशो एक सूफी फकीर था इब्राहिम। एक गांव के बाहर रहता था। गांव के भीतर जाने वाले लोग उससे ...
सत्य को कहा नहीं जा सकता - ओशो रामकृष्ण के पास एक दफा एक व्यक्ति आया। रामकृष्ण से उसने कहा कि मुझे सत्य के संबंध में कुछ बतायें। राम...
मृत्यु की दिशा - ओशो एक छोटी-सी कहानी मुझे स्मरण आती है। बल्ख में बल्ख के बादशाह ने एक रात एक सपना देखा रात उसने सपने में देखा कि को...
भीतर चेतना है, अंतर्गृह है, जीवन स्पंदन है - ओशो एक जर्मन विचारक हेरिडेल पूरब की यात्रा को आया हुआ था। वह पूरब के मुल्कों में उन लोगो...
भगवान, आदमी के अज्ञान और अहंकार की घोषणा है - ओशो महावीर बुद्ध को, कृष्ण को, क्राइस्ट को कितना ही ज्ञान मिला हो, एक रत्ती भर भी, अप...
मन की सारी क्रिया बाहर की यात्रा है, मन की अक्रिया भीतर की यात्रा है - ओशो सिकंदर हिंदुस्तान की तरफ आता था, रास्ते में वह एक फकीर ड...
सत्य के मार्ग पर स्वयं के सिवाय कोई और साथी नहीं है - ओशो आप भगवान से डरते हैं आप नास्तिक होंगे, आस्तिक नहीं हो सकते। कुछ लोग कहते ...
ओशो चित्त निरंतर बह रहा है नदी की तरह - ओशो बुद्ध के ऊपर एक आदमी ने आकर थूक दिया। थूककर वह चला भी गया, फिर बाद में पछताया ...
साधू- सन्यासियों की शांति झूठी है - ओशो एक विदेशी यात्री पूरब के मुल्कों में यात्रा को आया और उसने सोचा कि मैं देखू अ और स...
दुनिया को संन्यासियों की कोई जरूरत नहीं है, दुनिया को संन्यास की जरूरत है - ओशो जो आदमी गृहस्थी में दुखीऔर पीड़ित और परेशा...
अपने दीपक स्वं बनो - ओशो एक अंधेरी रात में एक युवक ने एक साधु से पूछा कि क्या आप मुझे सहारा न देंगे अपने गन्तव्य पर पहुंचने में? गुर...
कोई बुद्धिमान आदमी कभी किसी का अनुयायी नहीं बनता - ओशो जो आदमी भी किसी का अनुयायी बनता है, वह आदमी पहली तो बात है खतरनाक है, डेंजरस है। क्य...