प्रेम की सुवास - ओशो
प्रेम की सुवास - ओशो प्यारी सोहन, सुबह ही तेरा पत्र मिला। तू जिन प्रेम फूलों की माला गूंथती है, उनकी सुगंध मुझ त क आ जाती है। और...
प्रेम की सुवास - ओशो प्यारी सोहन, सुबह ही तेरा पत्र मिला। तू जिन प्रेम फूलों की माला गूंथती है, उनकी सुगंध मुझ त क आ जाती है। और...
सत्य प्रत्येक के भीतर है - ओशो ग्वालियर (म. प्र.) प्रिय आत्मन, स्नेह। तुम्हारे पत्र को राह में पढ़ा, उसने मेरे हृदय को छू लिय...
प्रिय सोहन वाई, स्नेह। तुम्हारा पत्र मिला है। उन शब्दों से मुझे बहुत खुशी होती है छोटे छोटे फूल जैसे अनंत सौंदर्य को प्रकट कर देत...
मेरे प्रिय, प्रेम। मैं समस्त से एक हूं। सौंदर्य से भी। और कुरूपता में भी। क्योंकि, जो भी है, वह मेरे विना नहीं है। पूष्पों ...
प्यारी सोहन, मैं कल यहां आ गया। आते ही सोचता रहा, पर अव लिख पा रहा हूं। देर के लिए क्षमा करना। एक दिन की देर भी कोई थोड़ी देर तो ...
प्रिय सोहन, स्नेह। अभी अभी यहां पहुंचा हूं। गाड़ी ५ घंटे विलंब से पहुंची है। तुमने चाहा था कि पहुंचते ही पत्र लिखू इसलिए सब से पहल...
मेरे प्रिय, प्रेम। सहारे मात्र वाधाएं हैं। सब सहारे छोड़ें, क्योंकि तभी उसका सहारा मिल सकता है। वह तो केवल वेसहारों को ...
सोहन, प्रिय, तेरा पत्र मिला है। और, चित्र भी। उसे देखता हूं-तू कितनी सरल और निर्दोष हो रही है? पूजा और प्रेम का वैसा पवित्र भाव उ...
प्रेम के फूल प्रिय सोहन, प्रेम। तेरा पत्र मिला। कविता से तो हृदय फूल गया। सुना था प्रेम से काव्य का जन्म होता है, तेरे पत्र में उ...
प्रिय बहिन. प्रेम। तुम्हारा पत्र मिला है। आनंद में जानकर आनंदित होता हूं। मेरे जीवन का आनंद यही है। सब आनंद से भरें, श्वास-श्वास ...
मेरे प्रिय, प्रेम। आपका पत्र मिल गया है। प्रेम और दया में बहुत भेद है। प्रेम में दया है। लेकिन दया में प्रेम नहीं है। इसलिए जो हो...
मेरे प्रिय, प्रेम। आपका पत्र मिला है। मन को शांत करने के उपद्रव में न पड़ें।वह उपद्रव ही अशांति है। मन जैसा है-है। उसे वैसा ही ...
मेरे प्रिय। प्रेम। स्वयं से लड़ें न। जैसे हैं हैं। बदलने की चेष्टा न करें। जीवन में तैरें नहीं-बहें; जैसे सरिता में सूखा पत्ता। ...
प्रिय योग यशा, प्रेम। नये जन्म पर मेरे शुभाशीष । संन्यास नया जन्म है। स्वयं में, स्वयं से, स्वयं का। वह मृत्यु भी...
प्रिय योग समाधि, प्रेम। संन्यास गौरी-शंकर की यात्रा है। चढ़ाई में कठिनाइयां तो हैं ही। लेकिन दृढ़ संकल्प के मीठे फल ...
प्रिय आनंदमूर्ति, प्रेम। फौलाद के बनो-मिट्टी के होने से अव का नहीं चलेगा। संन्यासी होना प्रभु के सैनिक होना है। मात...
प्रिय प्रेम कृष्ण, प्रेम। संन्यास की सुगंध को संसार तक पहुंचाना है। धर्मों के कारागृहों ने संन्यास के फूल को भी वि...
प्रिय योग प्रिया, प्रेम। तेरे संन्यास से अत्यंत आनंदित हूं। जिस जीवन में संन्यास के फूल न लगें, वह वृक्ष वांझ है। क्...
प्रिय योग प्रेम, प्रेम। तेरा पत्र पाकर आनंदित हूं। प्रेम ही अब तेरे लिए प्रार्थना है। प्रेम ही पूजा है। प्रेम ही पर...
प्यारी जसू, प्रेम। सूर्य को पाने की अभीप्सा, है, तो जरूर ही पा सकेगी। लेकिन जलने का साहस चाहिए। बिना मिटे प्रकाश नह...
पुराना चर्च - ओशो एक बहुत पुराने नगर में उतना ही पुराना एक चर्च था। वह चर्च इतना पुराना था कि उस चर्च में भीतर जाने में भी प्रार्थना करने ...