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    प्रेम की सुवास - ओशो

    7:30:00 am 0

    प्रेम की सुवास - ओशो  प्यारी सोहन,            सुबह ही तेरा पत्र मिला। तू जिन प्रेम फूलों की माला गूंथती है, उनकी सुगंध मुझ त क आ जाती है। और...

    प्रेम-एक से सर्व की ओर - ओशो

    9:26:00 am 0

    प्यारी सोहन,            मैं कल यहां आ गया। आते ही सोचता रहा, पर अव लिख पा रहा हूं। देर के लिए क्षमा करना। एक दिन की देर भी कोई थोड़ी देर तो ...

    प्रेम के आंसू - ओशो

    9:25:00 am 0

    प्रिय सोहन, स्नेह।           अभी अभी यहां पहुंचा हूं। गाड़ी ५ घंटे विलंब से पहुंची है। तुमने चाहा था कि पहुंचते ही पत्र लिखू इसलिए सब से पहल...

    प्रेम के फूल- ओशो

    9:16:00 am 0

    प्रेम के फूल            प्रिय सोहन, प्रेम। तेरा पत्र मिला। कविता से तो हृदय फूल गया। सुना था प्रेम से काव्य का जन्म होता है, तेरे पत्र में उ...

    संन्यास नया जन्म है - ओशो

    9:32:00 am 0

      प्रिय योग यशा,          प्रेम।                 नये जन्म पर मेरे शुभाशीष । संन्यास नया जन्म है। स्वयं में, स्वयं से, स्वयं का। वह मृत्यु भी...

    संन्यासी बेटे का गौर - ओशो

    9:20:00 am 0

       प्रिय आनंदमूर्ति,       प्रेम।                 फौलाद के बनो-मिट्टी के होने से अव का नहीं चलेगा। संन्यासी होना प्रभु के सैनिक होना है। मात...

    मिट और जान...खो और पा - ओशो

    9:34:00 am 0

       प्यारी जसू,       प्रेम।                 सूर्य को पाने की अभीप्सा, है, तो जरूर ही पा सकेगी। लेकिन जलने का साहस चाहिए। बिना मिटे प्रकाश नह...