दो महायुद्ध हमारे भीतर की बहुत गहरी विक्षिप्तता और पागलपन को दर्शाते है - ओशो
दो महायुद्ध हमारे भीतर की बहुत गहरी विक्षिप्तता और पागलपन को दर्शाते है मनुष्य जाति के अत्यंत प्राथमिक क्षणों की बात है। अद...
दो महायुद्ध हमारे भीतर की बहुत गहरी विक्षिप्तता और पागलपन को दर्शाते है मनुष्य जाति के अत्यंत प्राथमिक क्षणों की बात है। अद...
राजनीतिज्ञों के हाथ में दुनिया का होना शुभ नहीं है क्या आपको पता है, टूमने की आज्ञा से हिरोशिमा और नागासाकी में एटम बम ग...
जब तक प्रतियोगिता है, महत्वाकांक्षा है, तब तक मनुष्य जाति, युद्ध से मुक्त नहीं हो सकती पहले महायुद्ध में हेनरी फोर्ड कुछ...
सत्य को बताया नहीं जा सकता, लेकिन सत्य की विधी का विचार किया जा सकता है - ओशो रामकृष्ण के पास एक दफा एक व्यक्ति आया। रामकृष्ण से उसने कहा...
आदमी अपनी-अपनी शक्ल में भगवान को बनाये हुए बैठा है - ओशो कल रात मैं बात करता था-एक संन्यासी के पास मेरा एक मित्र मिलने गया था। उस संन्यासी...
जो परमात्मा को मान लेते हैं, वे उसे कभी नहीं जा न सकेंगे -ओशो मैं आपसे यह कहता हूं कि जो परमात्मा को मान लेते हैं, वे कभी नहीं जा न सकेंगे।...
आकांक्षा विराट के मिलन की, और पकड़े हुए हैं क्षुद्र सींखचों को जोर से मैंने सुना है, एक पहाड़ी सराय पर एक युवक एक रात मेहमा...
दुखी आदमी के जीवन में एक ही सुख है कि वह किसी को दुख दे पाए क्या आपको यह पता है, जब पहला महायुद्ध हुआ, तो मनोवैज्ञानिक ब...
आदमी दूसरे आदमी को सुखी देखने के लिए उत्सुक नहीं है एक मुसलमान फकीर था, बायजीद। वह बहुत परेशान था इस बात से कि ईश्वर ने नर्क बनाया ह...
यह मंदिर और मस्जिद कोई परमात्मा के मंदिर नहीं हैं यह मंदिर और मस्जिद कोई परमात्मा के मंदिर नहीं हैं, परमात्मा का मंदिर तो त...
धर्म के आस पास कम जोर और साहस हीन लोग इकट्ठे हो जाते हैं - ओशो कमजोरों के लिए जगत में कुछ भी उपलब्ध नहीं होता। और जो शक्तिहीन हैं औ...
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