भारत कभी सोने की चिड़िया नहीं था - ओशो
भारत कभी सोने की चिड़िया नहीं था - ओशो लोग कहते हैं कि भारत कभी सोने की चिड़िया थी। जिनके लिए तब थी, उनके लिए अब भी है। बिड़ला के लिए, टाटा...
भारत कभी सोने की चिड़िया नहीं था - ओशो लोग कहते हैं कि भारत कभी सोने की चिड़िया थी। जिनके लिए तब थी, उनके लिए अब भी है। बिड़ला के लिए, टाटा...
इस मुल्क में तो गोडसे से भी ज्यादा गांधीवादी गांधी के दुश्मन हैं- ओशो अभी गुजरात लौटा तो बड़ी गर्मी है। गांव-गांव में गया तो लोगों ने कहा,...
पंडितों ने भारत को भाग्यवादी बना दिया - ओशो यह धारणा प्रचारित की गई है पंडितों के द्वारा कि सब सुंदर बीत चुका; अब आगे सिर्फ अंधेरा है, नि...
वाद का अर्थ - ओशो वाद का क्या मतलब होता है? वाद का मतलब होता है, तैयार उत्तर। जिंदगी रोज बदल जाती है, जिंदगी रोज नए सवाल पूछती है और वादी...
वही रामलीला, वही नाटक, सदियां बीत गईं, हम रुके पड़े हैं, हम डबरे हो गए हैं - ओशो मैं इस सूत्र से पूर्णतया राजी हूं: चरैवेति! चरैवेति! चलते ...
मेरे साथ तो वही चल सकते हैं, जिनकी धारणा ही चरैवेति-चरैवेति की है - ओशो मेरे साथ सब तरह के लोग चले। जैन मेरे साथ चले, मगर वहीं तक चले जहा...
तैयार उत्तर - ओशो मैंने सुना है, जापान में एक छोटा-सा गांव था। उस गांव में दो मंदिर थे। एक मंदिर उत्तर का मंदिर था, एक दक्षिण का मंदिर था...
हिंदुस्तान में अगर पिछले दो हजार वर्षों में किसी आदमी ने हिंदुस्तान के जीवन को गति दी तो वह आदमी गांधी था - ओशो यह हमारा देश तैयार उत्तरों...
शास्त्र मनुष्य की छाती पर बोझ हो गए हैं - ओशो नदी को पार करना हो तो अलग-अलग घाटों से नदी पार की जा सकती है। अलग-अलग नावों में बैठा जा सकत...
मुझसे राजी होना चरैवेति-चरैवेति से राजी होना है - ओशो पिकासो एक चित्र बना रहा था और उसके एक मित्र ने कहा कि मैं एक बात पूछना चाहता हूं। तु...
हिंदुस्तान के सारे जगत में पिछड़ जाने के बुनियादी कारण - ओशो हिंदुस्तान के सारे जगत में पिछड़ जाने के बुनियादी कारणों में से एक कारण यह ह...
द्रोणाचार्य जैसा छल वाला आदमी खोजना कठिन है - ओशो 'जिसमें छल मिला हुआ है वह सत्य नहीं है।' क्या बकवास और फिजूल की बातें! इसको कह...