सच्चा प्रेम मुक्ति है - ओशो
सच्चा प्रेम मुक्ति है - ओशो मुल्ला नसरुद्दीन घर आया। अखबार पढ़ने बैठ गया। सभी पति बैठते हैं। यह पति-धर्म है कि घर में आए कि जल्दी से अखबा...
सच्चा प्रेम मुक्ति है - ओशो मुल्ला नसरुद्दीन घर आया। अखबार पढ़ने बैठ गया। सभी पति बैठते हैं। यह पति-धर्म है कि घर में आए कि जल्दी से अखबा...
मुल्ला नसरुद्दीन और बाबा पलटू दास - ओशो कल का प्रवचन सुन कर मुल्ला नसरुद्दीन ने तय कर लिया कि मुझे भी उस पार जाना है, नदी पार करनी है चाहे ...
40 वर्षों की पूजा या पागलपन - ओशो मेरे एक शिक्षक थे। अपने गांव जाता था, तो उनके घर जाता था। एक बार सात दिन गांव पर रुका था। दो या तीन दिन ...
मैं तो चरित्र कहता हूं: अपनी भीतर की अनुभूति से जीना - ओशो मैं तो चरित्र कहता हूं: अपनी भीतर की अनुभूति से जीना। मगर कोई भी समाज उसको चरित...
भारत इसलिए धार्मिक नहीं हो सका क्योंकि हमने धर्म को विश्वास पर खड़ा किया - ओशो सारी दुनिया के धर्म--भारत के धर्म और सारे धर्म--यह चेष्टा क...
निजता के फूल - ओशो हसीद फकीर झुसिया मर रहा था। उसकी बूढी चाची हमेशा उसके खिलाफ थी, क्योंकि वह कुछ ऐसी बातें कर रहा था जो यहूदी धर्म के वि...
सत्य किसी से किसी दूसरे को नहीं मिल सकता - ओशो अब तक हमें यह समझाया जाता रहा है कि सत्य दूसरे से मिल सकता है--गुरु से मिल सकता है, ज्ञानी स...
अतीत है स्मृति और भविष्य है वासना - ओशो और मेरे देखे, न तो समाज सत्य है, न समय सत्य है; सत्य है तो केवल व्यक्ति। चूंकि व्यक्ति के पास स्पंद...
बूढों और बच्चों को साथ-साथ पालना बच्चे को बचपन से ही पागल बनाने की चेष्टा है- ओशो अब तक सोचा जाता था कि मां-बाप से दूर रखने में बच्चों का ...
अतीत है तुम्हारी पीछे पड़ने वाली छाया और भविष्य है तुम्हारी आगे पड़ने वाली छाया - ओशो अतीत है तुम्हारी पीछे पड़ने वाली छाया और ...
वह आदमी मर गया जो आदमी था ही नहीं - ओशो एक आदमी परदेस गया, एक ऐसे देश में जहां की वह भाषा नहीं समझता है और न उसकी भाषा ही दूसरे लोग समझते...
द्रोणाचार्य जैसा छल वाला आदमी खोजना कठिन है - ओशो 'जिसमें छल मिला हुआ है वह सत्य नहीं है।' क्या बकवास और फिजूल की बातें! इसको कह...