घबड़ा मत। जरा भी चिंता न कर। जो उसे देता है उसे बहुत मिलता है - ओशो
घबड़ा मत। जरा भी चिंता न कर। जो उसे देता है उसे बहुत मिलता है - ओशो सत्संग चलने लगा । और एक दिन अनूठी घटना घटी। चराने गए थे गाय-बैल क...
घबड़ा मत। जरा भी चिंता न कर। जो उसे देता है उसे बहुत मिलता है - ओशो सत्संग चलने लगा । और एक दिन अनूठी घटना घटी। चराने गए थे गाय-बैल क...
जिसने प्रकृति को सुना है वह सद्गुरुओं को भी समझ सकता है - ओशो जब तक तुम खुली रात आकाश के नीचे, घास पर लेटकर तारों को न देखो, तुम्हें प...
आदमी ने स्वं और परमात्मा के बीच एक दीवार खड़ी कर ली है - ओशो लंदन में कुछ वर्षो पहले बच्चों का एक सर्वे किया गया। दस लाख बच्चों ने एक अ...
जहां काव्यशास्त्र है, वहां कविता नहीं - ओशो यह तुमने मजे की बात देखी कि विश्वविद्यालय में जो लोग काव्य पढ़ाते हैं उनसे कविता पैदा नही...
जो विश्वविद्यालय से बचे, वे परमात्मा तक पहुंचे - ओशो जगजीवन - पढ़े लिखे लोग हैं। ये निपट गंवार हैं, ग्रामीण हैं । सभ्यता का, शिक्षा का, संस...
कागज़ कोरा हो तो परमात्मा लिख सके - ओशो हां, उपनिषद मुझे याद हैं लेकिन वे मेरे उपनिषद् नहीं हैं; वे मेरे भीतर उमगे नहीं हैं। जैसे किस...
परमात्मा की तरफ जाना हो तो निर्भार होना जरूरी है जैसे कोई पहाड़ चढ़ता है तो जैसे-जैसे चढ़ाई बढ़ने लगती है वैसे-वैसे भार भारी ...
बुद्ध का, कृष्ण का, क्राइस्ट का मार्ग तो राजपथ है। राजपथ का अपना सौंदर्य है, अपनी सुविधा, अपनी सुरक्षा | सुंदरदास, दादूदयाल या अब जि...
तेरे सिवाय कुछ भी सच्चा नहीं है- ओशो सांचा तू गोपाल, सांच तेरा नाम है। जहंवां सुमिरन होय, धन्य सो ठाम है।। जहां तेरा स्मरण चल रहा हो, जहां...
सद्गुरु तुम्हें पुकारता है तुम्हारी कब्र से उठो ! जागो ! - ओशो जीसस ने अंधों को आंखें दीं, बहरों को कान दिए, गूंगों को जबान दी, लंगड़ों क...
मिल जाए तो मिट्टी है, खो जाए तो सोना है. - ओशो इस दुनिया का अद्भुत नियम है-मिल जाए तो मिट्टी है, खो जाए तो सोना है! जो तुम्हें मिल जाता ह...
पुराना चर्च - ओशो एक बहुत पुराने नगर में उतना ही पुराना एक चर्च था। वह चर्च इतना पुराना था कि उस चर्च में भीतर जाने में भी प्रार्थना करने ...