अपने पीछे चलो और अपने परमात्मा को पहचान लो - ओशो
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ओशो |
अपने पीछे चलो और अपने परमात्मा को पहचान लो - ओशो
कौन यह कहता है, जो क्राइस्ट को अनुभव हुआ है, वह आपको अनुभव नहीं होगा? जो यह कहता है, वह दुश्मन है। कौन यह कहता है, जो बुद्ध को अनुभव हुआ है, वह एक सड़क पर झाडू लगाने वाले को अनुभव नहीं होगा। जो यह कहता है, वह मनुष्य का दुश्मन है। हर मनुष्य के भीतर वही परम परमात्मा हुआ है, तो वह अ नुभव, जो क्राइस्ट को हुआ हो, बुद्ध को हुआ हो, रामकृष्ण को हुआ हो, वह हरेक को हो सकता है, हरेक को होना चाहिए। रुकावट है, इसलिए कि हम दूसरों को स्व कार किए हैं और अपने को जगा नहीं रहे हैं। दूसरों को हटा देख और अपने को जगाए। आपके भीतर जो बैठा है, उससे मूल्यवान और कोई भी नहीं है और आपके भीतर जो बैठा है, उससे पूज्य और कोई नहीं है, और आपके भीतर जो बैठा है, उससे श्रेष्ठ और कोई भी नहीं है। लेकिन मुश्किल यह हो गयी है, हमें सिखा जाता है, अनुकरण करो, फालो करो किसी को। कोई कहता है, क्राइस्ट को फालो करो, कोई कह ता है महावीर को, कोई कहता है, बुद्ध से पीछे चलो। और मैं आपसे कहता हूं, जो भी किसी के पीछे चलेगा, वह अपने भीतर बैठे परमात्मा का अपमान कर रहा है।किसी के पीछे जाने का कारण क्या है ? किसी के पीछे जाने का कारण नहीं है। अपने पीछे चलो और अपने परमात्मा को पहचान लो, जो तुम्हारे भीतर है। और जब भी तुम किसी के चरणों में झुक रहे हो, किसी का पीछा कर रहे हो, तब तुम भीत र बैठे परम शक्ति परमात्मा का इतना बड़ा अपमान कर रहे हो, जिसका कोई हिसाब नहीं है।
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