• Recent

    असली आदमी कहीं खो गया है - ओशो

    The-real-man-is-lost-somewhere-Osho.


    असली आदमी कहीं खो गया है - ओशो 

    अव तेरी शरण आयो राम ।।

    पहले तो इस 'अव' शब्द को तुम थोड़ा सा ध्यान करना। यह ठीक वैसा ही है जैसे व्र ह्मसूत्र शुरू होता है- 'अथातो ब्रह्मजिज्ञासा', अब ब्रह्म की जिज्ञासा । 'अव' । अब से क्य [ मतलब? अब से मतलब है : देख लिया बहुत जीवन, चख लिए सब स्वाद । सव बेस् वाद है यहां। जहां मिठास का आभास था वहां नीम की कड़वाहट पायी; जहां धन सो चा था वहां कौड़ियां भी न थीं; जहां हीरों की चमक देखी थी वहां कंकड़ पत्थर पाए: इसलिए-'अब'। अब का अर्थ है : अनुभव के वाद । 'अथातो ब्रह्मजिज्ञासा!' 'अब तेर श्री शरण आयो राम!' थक गया बहुत । न मालूम किन किन की शरण गया हूं! न मालू म किन-किन के चरण गहे! न मालूम कहां-कहां झुका, किन-किन द्वार-दरवाजों पर अ और सब जगह से खाली हाथ लौटा; इसलिए अब तुम्हारे द्वार आया हूं! 'अब तेरी शर ण आयो राम!'

    आदमी ने जो दुनिया बनायी है उसका धोखा देख लिया, पहचान लिया। वहां सपने ही सपने हैं, सत्य नहीं! मृगमरीचिकाएं हैं, झूठे आभास हैं; असली आदमी कहीं खो गया है। असली आदमी का कोई पता ही नहीं चलता।

    - ओशो 

    कोई टिप्पणी नहीं