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    पुकार सच्ची होगी तो एक ही बार में पहुंच जाएगी - ओशो

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    पुकार सच्ची होगी तो एक ही बार में पहुंच जाएगी - ओशो 

    बंगाल में एक बहुत बड़ा वैयाकरण हुआ। कभी मंदिर नहीं गया। उसके पिता बूढ़े होने लगे थे, नब्बे साल की उम्र हो गयी पिता की। बेटा भी अब कोई सत्तर पार कर रह [ है। आखिर पिता ने कहा कि तू कब जाएगा मंदिर, कव राम को पुकारेगा? तो बेटे ने कहा : मैं हूं व्याकरण का ज्ञाता। एक वचन में 'राम', 'राम' जिंदगी भर कहने से क्या फायदा? बहुवचन में एक ही बार राम को पुकार लेंगे। और एक ही बार पुकरूिंगा! और पुकार सच्ची होगी तो एक ही बार में पहुंच जाएगी। और पुकार अगर झू ठी है तो करोड़ बार में भी कैसे पहुंच सकती है? नाव अगर कागज की है तो करोड़ बार चलाओ, डूब-डूव जाएगी। नाव सच्ची हो तो बस एक बार छोड़ी कि उस पार पहुंची। ऐसे अंधेरे में तीर चलाने से क्या फायदा है? एक बार समग्र शक्ति लगाकर सारी आंखों को एकजुट करके, एकाग्र करके पुकार लूंगा राम को। पिता ने कहा : मैं बूढ़ा हो गया हूं, तू भी सत्तर साल का हुआ, अब इन व्यर्थ की बातों में मत लगा र ह। जब भी तुझसे कहता हूं, तभी तू यह बात कहता है-एक बार पुकार लूंगा! आखि र कब पुकारेगा? तो उसने कहा : आज ही पुकार लेता हूं।

    बेटा मंदिर गया। जैसे बाप भी रोज मंदिर जाता था.. जिंदगीभर का नियम था। बाप राह देखता रहा कि बेटा लौटता होगा, लौटता होगा, लौटता होगा। नहीं लौटा। दो पहर होने लगी, सूरज ढलने लगा, तो बाप भागा मंदिर गया कि बात क्या हुई? तब तक मंदिर से भी लोग आ रहे थे, उन्होंने कहा कि तुम्हारा बेटा तो चल वसा । उसने तो बस एक बार मूर्ति के सामने खड़े होकर जोर से 'राम' को पुकार दी और वहीं गिर गया। फिर उठा नहीं।

    - ओशो 

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