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    जहां हिंदू है, जहां मुसलमान है, जहां ईसाई है, वहां धर्म कहाँ है?- ओशो

     

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    जहां हिंदू है, जहां मुसलमान है, जहां ईसाई है, वहां धर्म कहाँ है?- ओशो 

    मैंने तो सुना है, जव जुगलकिशोर बिड़ला मरे.. मेरे परिचित थे। मुझसे भी उन्होंने व्यावसायिक संबंध बनाना चाहा था। मुझसे भी कहा था कि अगर आप हिंदू धर्म का प्रचार करे, तो जितने धन की जरूरत हो वह में देने को तैयार हूं। मैंने कहा: अप ना धन आप अपने पास रखो। जहां हिंदू है, जहां मुसलमान है, जहां ईसाई है, वहां धर्म  कहां? मैं किसी धर्म का प्रचार नहीं कर सकता हूं। मुझे वहुत हैरानी से देखा था और एक ही शब्द कहा था कि आप जैसे लोग हमेशा अटपटे क्यों होते हैं! में सब कु छ देने को, वेशतं देने को तैयार हूं, जितना धन चाहिए, लेकिन दुनिया भर में हिंदू धर्म का प्रचार होना चाहिए। दो चीजों का प्रचार-हिंदू धर्म और गऊ माता! मैंने कहा : यह मुझसे नहीं हो सकता। यह असंभव है। जव जुगलकिशोर मरे, तो स्वभा वतः उन्होंने सोचा था कि स्वर्ग पहुंचेंगे। क्योंकि इतने मंदिर बनवाए हैं, अब और क्या चाहिए! और पहुंचे भी स्वर्ग। तो स्वभावतः अकड़ से प्रवेश किया। द्वारपाल से पूछा क मुझे स्वर्ग मिला है, इसका कारण जानते हो? द्वारपाल ने कहा: कारण सभी जान ते हैं। जुगलकिशोर विड़ला ने कहा कि निश्चित ही। तो मतलव मेरे पहले मेरी सुगंध पहुंच चुकी है! मैंने इतने मंदिर जो वनवाए ! द्वारपाल ने कहा आप भ्रांति में हैं। अ 1प मंदिरों के कारण यहां प्रवेश नहीं कर रहे हैं। मंदिरों के कारण तो आपको नरक जाना पड़ता। यह तो आपने एम्बेसेडर गाड़ी बनायी, उसकी वजह से।

    जुगलकिशोर भी बहुत चौके! एम्बेसेडर गाड़ी! उससे स्वर्ग जाने का क्या संबंध? तो द्व ारपाल ने कहा कि जो भी एम्बेसेडर गाड़ी में बैठे, राम-राम करता रहता है। जितने लोगों को आपने राम-राम करवाया है, उतनों को बड़े-बड़े पंडित, बड़े-बड़े पुरोहित भी नहीं करवा सके!. चीज भी अद्भुत बनायी है एम्बेसेडर गाड़ी! हर चीज वजती है सिर्प हार्न छोड़कर ! जो वैठता है, वह राम-राम करता है, जो उसको देखता है व ह राम-राम करके एकदम रास्ते से हट जाता है!

    मोचा था कि मंदिर की वजह से प्रवेश मिलेगा स्वर्ग में। लेकिन वे मंदिर तो विड़ला के अहंकार के प्रतीक हो गए। और जहां अहंकार आ गया वहां पुण्य कहां?

    तुम दान भी देते हो तो किसलिए? देने में तुम्हें आनंद है या कि देने के पीछे कुछ पा ने का गणित विठा रहे हो, कोई दुकान फैला रहे हो? अगर दान साधन है, तो पाप हो गया। अगर दान साध्य है, तो पुण्य है।

    - ओशो 

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