• Recent

    मलूकदास ने जीवन भर लोगो के जीवन से कांटे बीने - ओशो

     

    Malukdas-spent-his-entire-life-sowing-thorns-in-people's-lives-Osho

    मलूकदास ने जीवन भर लोगो के जीवन से कांटे बीने - ओशो 

    मलूकदास के जीवन के संबंध में कुछ थोड़ी ही बातें ज्ञात हैं। वे प्रतीकात्मक हैं। समझ लेने जैसी हैं। ऊपर से तो नहीं दिखायी पड़तीं कि बहुत कीमती हैं, लेकिन अगर उन प्रतीकों के भीतर प्रवेश करोगे तो जरूर बड़े राज, बड़े रहस्यों के द्वार खुलेंगे।

    जो पहली घटना उनके संबंध में ज्ञात है, वह है कि बचपन से ही एक अजीव सी आदत उन्हें थी। रास्ते पर कोई कांटा पड़ा मिल जाए तो हजार काम छोड़कर पहले उस कांटे को हटाते। छोटे थे तब से! कूड़ा करकट कहीं पड़ा मिल जाए.. और भारत के रास्ते! कूड़ा-करकट की कोई कमी है! कांटों की कोई कमी है! काम के लिए भे जा जाता तो घंटों लग जाते, क्योंकि पहले वे रास्ता साफ करें, कूड़ा करकट हटाएं, कांटें बीनें। कभी-कभी सुबह घर से भेजे जाएं कि जाकर बाजार से सब्जी ले आओ, सांझ लौटें। दिनभर मां उनकी राह देखे कि तुम रहे कहां गए कहां? तो वे कहते : और भी जरूरी काम आ गए, सब्जी से भी ज्यादा जरूरी काम आ गया, रास्ते पर कां टे थे, कूड़ा करकट था, उसे बीना, हटाया।

    ऐसे तो यह छोटी सी बात है, लेकिन छोटी नहीं। जीवनभर भी यही किया-लोगों के रास्तों पर से कांटे बीने। लोगों के जीवन से कांटे वीने! लोगों के मनों में भरा हुआ कूडा कचरा साफ किया। पूत के लक्षण पालने में!

    - ओशो 

    कोई टिप्पणी नहीं