इस दुनिया का गणित वहुत अद्भुत है- ओशो
इस दुनिया का गणित वहुत अद्भुत है- ओशो
एक सम्राट लौटता था अपने घर-सारी दुनिया की विजययात्रा करके। उसकी सौ रानि यां थी। उसने खवर भेजी कि जिसे जो चाहिए हो वह में लेता आऊं। किसी ने कहा, कोहिनूर हीरा लेते आना और किसी ने कहा कि स्वर्ण आभूषण लेते आना और किसी ने कहा कि साड़ियां लेते आना और किसी ने कुछ, किसी ने कुछ। लेकिन सबसे छोट ी रानी ने कहा: मेरे मालिक, तुम वापिस आ रहे हो, और क्या चाहिए? वस, तुम आ जाओ सकुशल !
सम्राट सबके लिए भेटे लाया। निन्यानवे रानियों को तो भेटे दे दी और छोटी रानी को गले लगा लिया और कहा कि तूने सव को हरा दिया। तूने मुझे पा लियाः और मुझे पा लिया तो मेरी सारी मालकियत तेरी हो गयी। तू होशियार है। ये जो निन्यानवे मेरी रानियां हैं, वड़ी होशियार दिखायी पड़ती है बड़ी नासमझ सिद्ध हुई। यह दुनिया वड़ी अद्भुत है, इसका गणित वहुत अद्भुत है! यहां जो समझदार सावित होने चाहिए, समझदार सावित नहीं होते; वड़े नासमझ सिद्ध होते हैं। यहां नासमझ समझदार सिद्ध हो जाते हैं।
- ओशो
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