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    हम कहने को धार्मिक हैं और हम जैसा अधार्मिक आचरण आज पृथ्वी पर कहीं भी खोजने से नहीं मिल सकता - ओशो

    We are religious to say and irreligious conduct like us cannot be found by searching anywhere on earth today - Osho

     

    हम कहने को धार्मिक हैं और हम जैसा अधार्मिक आचरण आज पृथ्वी पर कहीं भी खोजने से नहीं मिल सकता - ओशो 

    आदमी ने अपने को धोखा देने के लिए हजार तरह की तरकीबें ईजाद कर ली हैं। उन्हीं तरकीबों को हम धर्म मानते रहे हैं। और इसीलिए हमारे मुल्क में यह दुविधा खड़ी हो गई है कि हम कहने को धार्मिक हैं और हम जैसा अधार्मिक आचरण आज पृथ्वी पर कहीं भी खोजने से नहीं मिल सकता है। हमसे ज्यादा अनैतिक लोग, हमसे ज्यादा चरित्र में गिरे हुए लोग, हमसे ज्यादा ओछे, हमसे ज्यादा संकीर्ण, हमसे ज्यादा क्षुद्रता में जीने वाले लोग और कहीं मिलने कठिन हैं। और साथ ही हमें धार्मिक होने का भी सुख है कि हम धार्मिक हैं। ये दोनों बातें एक साथ चल रही हैं। और कोई यह कहने को नहीं है कि ये दोनों बातें एक साथ कैसे चल सकती?

            यह ऐसा ही है जैसे किसी घर में लोगों को खयाल हो कि हजारों दीए जल रहे हैं, और घर अंधकार से भरा हो। और जो भी आदमी निकलता हो, दीवार से टकरा जाता हो, दरवाजे से टकरा जाता हो, और घर में पूरा अंधकार हो। हर आदमी टकराता हो, फिर भी घर के लोग यह विश्वास करते हों कि अंधेरा कहां है? दीए जल रहे हैं! और रोज हर आदमी टकरा कर गिरता हो, फिर भी घर के लोग मानते चले जाते हों कि दीए जल रहे हैं, रोशनी है, अंधेरा कहां है? हमारी हालत ऐसी ही कंट्राडिक्टरी, ऐसे विरोधाभास से भरी हुई है। 

            जीवन हमें रोज बताता है कि हम अधार्मिक हैं, और हमने जो तरकीबें ईजाद कर ली हैं, वे रोज हमें बताती हैं कि हम धार्मिक हैं। कि देखो, दुर्गोत्सव आ गया और सारा मुल्क धार्मिक हआ जा रहा है। कि देखो गणेशोत्सव आ गया, कि देखो महावीर का जन्म-दिन आ गया और सारा मुल्क मंदिरों की तरफ चला जा रहा है। पूजा चल रही है, प्रार्थना चल रही है। अगर इस सबको कोई आकाश से देखता होगा तो कहता होगा, कितने धार्मिक लोग हैं! और कोई हमारे भीतर जाकर देखे, कोई हमारे आचरण को देखे, कोई हमारे व्यक्तित्व को देखे, तो हैरान हो जाएगा। शायद मनुष्य-जाति के इतिहास में इतना धोखा पैदा करने में कोई कौम कभी सफल नहीं हो सकी थी, जिसमें हम सफल हो गए हैं। यह अदभुत बात है। यह कैसे संभव हो गया? इसका जिम्मा आप पर है, ऐसा मैं नहीं कहता हूं। इसका जिम्मा हमारे पूरे इतिहास पर है। यह आज की पीढ़ी ऐसी हो गई है, ऐसा मैं नहीं कहता हूं। आज तक हमने धर्मों के प्रति जो धारणा बनाई है उसमें बुनियादी भूल है और इसलिए हम बिना धार्मिक हुए धार्मिक होने के खयाल से भर गए हैं। 

     - ओशो 

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