भारत कभी सोने की चिड़िया नहीं था - ओशो
भारत कभी सोने की चिड़िया नहीं था - ओशो
लोग कहते हैं कि भारत कभी सोने की चिड़िया थी। जिनके लिए तब थी, उनके लिए अब भी है। बिड़ला के लिए, टाटा के लिए, सिंघानिया के लिए, साहू के लिए अब भी सोने की चिड़िया है। इनके लिए तब भी थी। इनके लिए हमेशा थी। लेकिन यह कोई पूरे भारत के संबंध में सचाई नहीं है।
जिस देश में जितनी गरीबी होती है उस देश में थोड़े से लोगों के पास अपार संपदा जुड़ ही जाएगी। यह अनिवार्य है। अपार संपदा जुड़ ही तब सकती है जब कि बहुत बड़ी गरीबी का विस्तार हो। जैसे कि पिरामिड बनाया जाता है तो नीचे बड़ी बुनियाद रखनी होती है, फिर धीरे-धीरे पिरामिड छोटा होता जाता है, फिर शिखर होता है पिरामिड का। अगर शिखर लाना हो तो नीचे बड़ी बुनियाद डालनी होगी।
और तुम्हें याद होना चाहिए, पिरामिड किन लोगों ने बनाए? जिन्होंने बनाए उनके पास सोना था, खूब सोना था। लेकिन पिरामिड, एक-एक पिरामिड के बनने में हजारों लोगों की जानें गईं। क्योंकि उन पत्थरों को चढ़ाने में...आसान मामला नहीं था, मशीनें न थीं...कोड़ों के बल वे पत्थर चढ़वाए गए। एक-एक पत्थर को ढोने में कभी-कभी हजार-हजार लोगों की पीठों पर कोड़े पड़ते थे। हजार लोग घोड़ों की तरह जुटे हुए थे और उनके पीछे कोड़े पड़ रहे थे। उन कोड़ों की मार के पीछे, अपनी जान को बचाने के लिए, लहूलुहान छातियों को लिए हए लोगों ने वे पत्थर चढ़ाए। अब पिरामिड के सौंदर्य की खूब चर्चा होती है।
अब ताजमहल को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। जरूर जिसके पास सोना था, उसने ताजमहल बनवाया। लेकिन जिन लोगों ने बनाया--तीन पीढ़ियां लगीं ताजमहल के बनने में--उन सबके हाथ कटवा दिए गए, ताकि फिर ताजमहल जैसी कोई दूसरी कृति न बन सके। और जिस स्त्री के लिए ताजमहल बनवाया गया था, उससे प्रेम था बनवाने वाले का, ऐसा नहीं। क्योंकि उसकी और भी सैकड़ों स्त्रियां थीं। यह अपने ही अहंकार की उदघोषणा थी। यह किसी मुमताज के लिए बनवाई गई कब्र न थी। ऐसी तो बहुत मुमताजें बादशाह के पास थीं। यह मुमताज भी किसी और की औरत थी और जबरदस्ती छीनी गई थी। इससे क्या लेना-देना था! बादशाह को तो मकबरा बनाना था। और शाहजहां, जिसने यह मकबरा बनवाया, उसके बेटे को यह बात साफ थी, औरंगजेब को, कि यह मकबरा अहंकार का प्रतीक है।
शाहजहां एक और मकबरा बनवा रहा था यमुना के दूसरी तरफ। यह मकबरा सफेद संगमरमर से बनवाया गया है, दूसरा मकबरा काले संगमरमर से बनवाया जा रहा था। वह मकबरा खुद शाहजहां की कब्र बनने वाली थी। वह इससे भी बड़ा होने वाला था। स्वभावतः, पत्नी के मुकाबले पति का मकबरा बड़ा होना चाहिए! वह इससे भी विशाल होने वाला था। दुनिया वंचित ही रह गई, उसकी सिर्फ बुनियाद रखी जा सकी। और औरंगजेब ने शाहजहां को कैद कर लिया। और उसने कहा, 'यह मकबरा नहीं बनेगा। ये अहंकार के शिखर नहीं उठेंगे।' उसने मकबरा नहीं बनने दिया। जब शाहजहां कैद कर लिया गया तो उसने एक ही प्रार्थना की औरंगजेब से कि और मुझे कुछ नहीं चाहिए, लेकिन तीस बच्चे मुझे दे दो जिनको मैं पढ़ाऊं-लिखाऊं। दिन भर बैठा-बैठा खाली, दिन गुजारना मुश्किल। औरंगजेब ने अपने संस्मरणों में लिखवाया है कि शाहजहां को हकूमत करने का रस जाता नहीं। अब तीस बच्चों की छाती पर मूंग दलेगा। अब इन तीस बच्चों के बीच में ही सम्राट बन कर बैठेगा। अब इन तीस बच्चों को ही सताएगा, आज्ञा देगा। पुरानी आदतें नहीं जाती। जरूर कुछ लोगों के पास धन था, होने ही वाला था, क्योंकि सबका धन छीन लिया गया था। सोने की चिड़िया भारत न कभी थी, न आज है। लेकिन कुछ लोगों के पास सोना था, खूब सोना था। सारा देश चूस लिया गया था। इसको स्वर्ण-युग कहते हो?
- ओशो
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