• Recent

    भारत और क्रांति - ओशो

    India and the Revolution - Osho


    भारत और क्रांति - ओशो 

    कहना चाहूंगा कि समाज बाद में बदलता है, पहले मनुष्य का मन बदल जाता है। और हमारा दुर्भाग्य है कि समाज तो परिवर्तन के करीब पहुंच रहा है, लेकिन हमारा मन बदलने को बिलकुल भी राजी नहीं है। समाज के बदलने का सूत्र ही यही है कि पहले मन बदल जाए, क्योंकि समाज को बदलेगा कौन? चेतना बदलती है पहले, व्यवस्था बदलती है बाद में। लेकिन हमारी चेतना बदलने को बिलकुल भी तैयार नहीं है। और बड़ा आश्चर्य तो तब होता है कि वे लोग, जो समाज को बदलने के लिए उत्सुक हैं, वे भी चेतना को बदलने के लिए उत्सुक नहीं हैं। शायद उन्हें पता ही नहीं है कि चेतना के बिना बदले समाज कैसे बदलेगा! और अगर चेतना के बिना बदले समाज बदल भी गया तो वह बदलाहट वैसी ही होगी, जैसा आदमी न बदले और सिर्फ वस्त्र बदल जाएं, कपड़े बदल जाएं। वह बदलाहट बहुत ऊपरी होगी और हमारे भीतर प्राणों की धारा पुरानी ही बनी रहेगी। इस देश का मन समझना जरूरी है तभी उस मन को बदलने की बात भी हो सकती है। क्योंकि जिसे बदलना हो उसे ठीक-से समझ लेना आवश्यक है। इस देश का मन अब तक कैसा था? क्योंकि उस मन के कारण ही यह देश जैसा रहा, वैसा रहा। यह देश अगर नहीं बदला पांच हजार वर्षों तक, अगर इस देश में कोई क्रांति नहीं हई, तो कारण इसकी चेतना में कुछ तत्व थे जिनके कारण क्रांति असंभव हो गई। और वे तत्व अभी भी मौजूद हैं। इसलिए क्रांति की बात सफल नहीं हो सकती जब तक वे तत्व भीतर से टूट न जाएं।

    - ओशो 

    कोई टिप्पणी नहीं