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    विचार में एक यात्रा है, विश्वास में विश्राम है - ओशो

    In thought there is a journey, in faith there is rest - Osho


    विचार में एक यात्रा है, विश्वास में विश्राम है - ओशो 

    अगर समाज में परिवर्तन चाहिए--और चाहे बिना कोई उपाय नहीं है--तो हमारे मन के विश्वास के आधार अलग कर देने होंगे; विचार करना शुरू करना पड़ेगा। विचार करना कष्टपूर्ण है, विश्वास करना सुविधापूर्ण है, कन्वीनिएंट है; क्योंकि विश्वास करने में हमें कुछ भी नहीं करना पड़ता, सिर्फ विश्वास करना पड़ता है। विचार करने में हमें बहुत कुछ करना पड़ता है। विचार करने _में हमें ही निष्कर्ष तक पहुंचना पड़ता है। विचार में एक यात्रा है, विश्वास में विश्राम है।

            तो भारत का मन विश्राम कर रहा है हजारों साल से; विश्वास की छाया में आंख बंद किए पड़ा है। मान लिया है, इसलिए खोजने की जरूरत नहीं रही है। इसीलिए भारत में साइंस पैदा नहीं हो सकी। हो सकती थी सबसे पहले। सारी पृथ्वी पर सबसे पहले यह जमीन सभ्य हुई, सबसे पहले पृथ्वी पर इस जमीन ने भाषा को जन्माया। सबसे पहले पृथ्वी पर इस जमीन को गणित का बोध आया। जिनके पास सारे सूत्र आ गए थे सबसे पहले, वे आज सबसे पीछे खड़े हैं--एक मिरेकल है, एक चमत्कार है।

            गणित हमने खोजा। यह एक दो तीन चार से नौ तक की जो गिनती है, यह सारी दुनिया में हमसे फैली है। यह हमसे गई सारी दुनिया में। लेकिन आइंस्टीन हम पैदा नहीं करते, आइंस्टीन कोई और पैदा करता है।

            न्यूटन हम पैदा नहीं करते, वह कोई और पैदा करता है। सबसे पहले जिन्होंने गणित पैदा किया, गणित की ऊंचाइयां वे क्यों न छू सके? सबसे पहले जिन्होंने भाषा पैदा की, वे विचार की ऊंचाइयां क्यों न छू सके? आज से कोई पांच हजार साल पहले हमने सभ्यता को सबसे पहले जन्म दिया। लेकिन हमने नींव भर कर छोड़ दी, ऊपर का भवन नहीं बनाया। वह भवन किन्हीं और ने बना लिया है। आज हम उन्हीं के सामने भीख मांगते हुए खड़े हैं।

    - ओशो 

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