इस मुल्क का सारा मन सो गया है - ओशो
इस मुल्क का सारा मन सो गया है - ओशो
अभी अमरीका के हिप्पियों ने एक छोटा-सा नारा दिया है, वह नारा मुझे बहुत प्रीतिकर लगा। वह नारा बहुत अजीब है। उन्होंने नारा दिया है कि तीस साल के ऊपर के आदमी का भरोसा मत करना, क्योंकि तीस साल के ऊपर के आदमी के जिंदा होने का ही सबूत नहीं है; वह आमतौर से मर गया होता है। इसमें सचाई है। यह बात एकदम झूठ नहीं मालूम पड़ती है, इसमें सचाई है। मार ही डालते हैं हम। यह हमें प्रक्रिया बदलनी पड़े। एक-एक घर में प्रश्न को जगाना पड़े। सब सहयोगी हो सकते हैं प्रश्नों को जगाने में। और अगर बच्चों के प्रश्न जगाए जाएं और उनको संदेह दिया जाए और शिक्षा के द्वार पर वे बड़े प्रश्न पूछते हुए पहुंचे और शिक्षा के मंदिर से लौटते वक्त और बड़े प्रश्न लेकर लौटें, तो मुल्क का सारा मन जो सो गया है वह जग सकता है। वह आज जग सकता है, कोई कारण नहीं है।
लेकिन उसमें बड़ी तकलीफें हैं। क्या होगा उनका जो विश्वास पर ही जी रहे हैं? और विश्वास पर बहुत कुछ जी रहा है। क्या होगा उनका जो विश्वास पर ही टिके हैं? और विश्वास पर बहुत कुछ टिका है। क्या होगा उनका जिनका विश्वास ही सारा शोषण है? उन सबको बड़ी बेचैनी छा जाती है। उन सबको बड़ी कठिनाई हो जाती है। इसलिए वे संदेह उठाने वाले लोगों से भयभीत हैं, वे घबड़ाए हुए हैं। वे चाहते हैं कि संदेह मत उठाओ, क्योंकि संदेह बगावत ले आ सकता है। इसलिए वे चाहते हैं, लोगों को संतोष सिखाओ ताकि संतोष बगावत को मार दे।
- ओशो
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