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    समृद्धि का एकमात्र सुख है कि आप अकेले में हो सकते हैं - ओशो

    The only happiness of prosperity is that you can be alone - Osho

     

    समृद्धि का एकमात्र सुख है कि आप अकेले में हो सकते हैं - ओशो 

    सार्च ने एक छोटी-सी कहानी लिखी है। कहानी लिखी है कि सुना था मैंने नर्क के संबंध में कि वहां भट्टियां जलती हैं और पापी उन भट्टियों में जलाए जाते हैं। लेकिन मुझे कभी बहुत डर नहीं लगा। बल्कि कई दफे ऐसा भी लगा कि स्वर्ग जाना कुछ ठीक नहीं, मोनोटोनस होगा। ऐसे भी साधु-संत मोनोटोनस होते हैं, उनके साथ रहो तो बहुत जल्दी ऊब जाते हैं। इसलिए लोग जल्दी दर्शन करके चले जाते हैं। दर्शन शायद इसीलिए खोजना पड़ा ताकि ज्यादा देर साथ न रहना पड़े। नमस्कार और विदा। साधु-संत जो हैं उबाने वाले हो जाते हैं। असल में एक-सा ही स्वर बजता रहे तो उबाने वाला हो ही जाता है। पापी आदमी थोड़ा रुचिपूर्ण होता है, इंट्रेस्टिंग होता है। सच तो यह है कि अच्छे आदमी के ऊपर कोई कहानी हों लिखी जा सकती। अच्छे आदमी की कोई कहानी ही नहीं होती। कहानी सिर्फ बुरे आदमी की होती है। अच्छे आदमी की असल में कोई बायोग्राफी नहीं होती, बुरे आदमी की होती है। तो सार्च को खयाल है मन में कि स्वर्ग में तो कुछ रस न होगा। वहां तो दुनिया भर के सब उबाने वाले लोग इकट्ठे होंगे। और बैठे होंगे अपनी-अपनी सिद्ध-शिलाओं पर। वहां कुछ करने को ही नहीं बचा होगा। नर्क देखने लायक होगा। दुनिया भर के पापी जहां इकट्ठे हों वहां जिंदगी बड़ी रसपूर्ण होगी और वहां घटनाएं घटती होंगी फिनॉमिनल, ऐसी घटनाएं घटती होंगी जो कि सदियों तक लोग चर्चा करें। जहां सारे पापी इकट्ठे हो गए हैं! 

            लेकिन एक रात सपना उसने देखा कि वह नर्क में चला गया है। लेकिन वहां न बत्तियां हैं, न आग जल रही है, न कोई सड़ाया जा रहा है, न कोई गलाया जा रहा है--बल्कि एक और दूसरी मुसीबत है जो खयाल में ही नहीं थी। वह यह है कि एक छोटा-सा कमरा है जिसमें कोई एग्जिट नहीं है, जिसमें बाहर जाने का उपाय नहीं है, द्वार नहीं है। एक छोटा कमरा है और बाहर जाने का द्वार नहीं है। और तीन आदमी हैं। और तीन आदमियों के बस खड़े रहने के लायक जगह है। जरा हिलो-डुलो कि दूसरे से छू जाते हैं। और तीनों में से कोई किसी की भाषा नहीं समझता है। और तीनों को साथ रहना पड़ता है, प्राइवेसी बिलकुल नहीं है। बस वह इतना कमरा है, बस वे तीन आदमी हैं, कोई किसी की भाषा नहीं समझता है। जागो तो उन तीन को देखते रहो, सोओ तो वे तुमको देखते रहें। कुछ भी करो, वे तीन वहां हैं। पंद्रह मिनट बाद ही बस तीनों पागल होने लगते हैं। किसी ने किसी को कुछ किया नहीं, लेकिन लिविंग स्पेस नहीं है, बीच में जगह नहीं है। और जब जगह नहीं होती तो प्राइवेसी खतम हो जाती है। प्राइवेसी के लिए जगह चाहिए।

            गरीब की सबसे बड़ी जो दुविधा है, वह है प्राइवेसी का अभाव--भोजन नहीं, कपड़े नहीं। गरीब का सबसे बड़ा दुख है कि उसकी प्राइवेट जिंदगी नहीं हो सकती। वह अगर अपनी पत्नी से भी बात कर रहा हो तो भी पड़ोसी सुनता है। वह अपनी पत्नी से भी प्रेम नहीं कर सकता बिना इसके कि उसके बेटे-बेटी जान लें। गरीब की सबसे बड़ी तकलीफ है कि वह अकेले में नहीं हो सकता। उसकी प्राइवेसी जैसी कोई चीज नहीं है। समृद्धि का एकमात्र सुख है कि आप अकेले में हो सकते हैं दुनिया और अपने बीच स्पेस पैदा कर सकते हैं, जगह पैदा कर सकते हैं, बड़ी जगह पैदा कर सकते हैं। और जितनी आपके और दूसरों के बीच जगह बढ़ जाती है, उतना ही चित्त शांत होता है। दूसरे की मौजूदगी तनाव लाती है। यह आपने कभी खयाल न किया होगा कि दूसरा कुछ भी न करे, सिर्फ मौजूद हो जाए, तो तनाव शुरू हो जाता है।

    - ओशो 

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