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    सत्य हमेशा प्यास के केंद्र पर इकट्ठा हो जाता है - ओशो

    Truth always gathers at the center of thirst - Osho

    सत्य हमेशा प्यास के केंद्र पर इकट्ठा हो जाता है - ओशो 

    बुद्ध के पास एक युवक गया और उस युवक ने कहा, मैं सत्य के संबंध में जानने को आपके पास आया हूं। बुद्ध ने पूछा, जानने के मूल्य के बतौर क्या चुका सकोगे? सत्य तो जाना जा सकता है, लेकिन मूल्य क्या चुकाओगे? क्राइस्ट के पास भी एक युवक गया और उसने कहा कि मैं जानने को आया हूं कि क्या परमात्मा है? क्राइस्ट ने कहा कि यह तो जान सकोगे, लेकिन कीमत क्या चुकाने को राजी हो? जाओ, अपनी सारी संपत्ति को बांट कर आ जाओ, मैं तुम्हें सत्य के लिए आश्वासन देता हूं कि सत्य की ओर तुम्हें पहुंचाया। जाएगा। उस युवक ने कहा कि संपत्ति को बांट आऊं? फिर विचार करना पड़ेगा! वह युवक वापस लौट गया। फिर उस गांव से ईसा कई बार गुजरे, लेकिन वह उनसे मिलने नहीं आया।

            एक भारतीय साधु चीन गया था, बोधिधर्म। वह हमेशा दीवार की ओर मुंह करके बैठता था, कभी लोगों की ओर मुंह नहीं करता था। लोगों ने उससे चीन में पूछा कि यह क्या पागलपन है, आप दीवार की ओर मुंह किए बैठे हो? बोधिधर्म ने कहा कि तुम्हारी तरफ मैं मुंह करता हूं तो तुमको मैं दीवार की तरह पाता हूं। तुमसे बात करने का कोई प्रयोजन नहीं है, क्योंकि तुम्हारे भीतर जिस बात की प्यास नहीं है, उसकी वर्षा करने का फायदा क्या? तुम भी दीवार की भांति हो इसलिए मुंह दीवार की तरफ किए रहता हूं। कम से कम दीवार पर दया तो नहीं आती। जब कोई आदमी ऐसा आएगा जिसके भीतर प्यास हो तो मैं उसकी ओर मुंह कर दूंगा।

            नौ वर्ष तक वह चीन में था। उसने दीवार की तरफ से मुंह नहीं हटाया। एक दिन हुईनेंग नाम का एक व्यक्ति आया और उसके पीछे खड़ा हो गया। हईनेंग ने कहा कि इस तरफ मुंह कर लो! बोधिधर्म, मुंह इस तरफ कर लो! वह आदमी आ गया जिसकी प्रतीक्षा थी। बोधिधर्म ने कहा कि प्रमाण? दीवार की तरफ ही मुंह रहा और कहा कि प्रमाण? इस आदमी ने एक हाथ काट कर उसके हाथ में रख दिया। बोधिधर्म घबरा गया। और उस आदमी ने कहा कि अगर थोड़ी देर और रुके तो गर्दन से प्रमाण दे दूंगा। बोधिधर्म ने मुंह इस तरफ कर लिया। उसने कहा, ठीक है कि वह आदमी आ गया। सत्य के लिए अगर थोड़ी-सी प्यास हो तो अदम्य साहस की जो बिखरी हुई शक्तियां हैं वे इस प्यास के केंद्र पर इकट्ठी हो जाती हैं। स्मरण रखिए, सत्य हमेशा प्यास के केंद्र पर इकट्ठा हो जाता है। जो प्यास होती है वह शक्ति बन जाती है। आपकी जो प्यास है वही आपकी शक्ति है।

    - ओशो 

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