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    हमें जिससे भी भय लगा, हमने उसे भगवान बना दिया - ओशो

    Whatever we feared, we made him God - Osho


     हमें जिससे भी भय लगा, हमने उसे भगवान बना दिया - ओशो  

    मैं गांधी का दुश्मन नहीं हूं। गांधी से जैसा मेरा प्रेम है, बहुत कम लोगों का हो सकता है। लेकिन प्रेम को प्रकट करने का हम एक ही रास्ता जानते हैं कि किसी आदमी की पत्थर की मूर्ति बना कर उस पर फूल चढ़ाओ। प्रेम का हम एक ही रास्ता जानते हैं कि पूजा करो। प्रेम का हम एक ही रास्ता जानते हैं कि किसी आदमी को भगवान बना दो, बस प्रेम पूरा हो गया। और मैं आपसे कहता हूं कि यह प्रेम का रास्ता नहीं है, यह किसी आदमी से बचने की तरकीब है। जिस आदमी से बचना हो उसको भगवान बना दो। भगवान होते ही हमारी झंझट के बाहर हो गया। हम आदमी रह गए, वह भगवान हो गया। हमारे उसके बीच फिर कोई कम्युनिकेशन, कोई संवाद का वाहन नहीं रहा, कोई बीच का माध्यम नहीं रहा। वह भगवान हो गया, बात खत्म हो गई। 

            हमने पहले भी अच्छे आदमियों से इसी तरह छुटकारा पाया है। कृष्ण को भगवान बना दिया, मामला खत्म हो गया। महावीर को तीर्थंकर बना दिया, मामला खत्म हो गया। फिर महावीर जो करते हैं, हम कह सकते हैं कि वे तीर्थंकर हैं इसलिए करते हैं; हम साधारण आदमी हैं, हम क्या कर सकते हैं! हम सिर्फ पूजा कर सकते हैं। कृष्ण? कृष्ण भगवान के अवतार हैं। राम भगवान के अवतार हैं। वे कुछ भी कर सकते हैं। लीला है उनकी, वे सब कर सकते हैं। हम? हम साधारण आदमी हैं, हम क्या कर सकते हैं! राम से बचने की तरकीब देखी आपने? कृष्ण से बचने की तरकीब देखी? बड़ा कनिंग, बड़ा चालाकी से भरा हुआ रास्ता खोजा हमने। और चालाकी यह है कि आदमी को भगवान बना दो, अपनी सीमा के बाहर खदेड़ दो। उस आदमी को हमने आदमियत के बाहर कर दिया। और आदमियत के जो बाहर हो गया, उससे फिर हमारा कोई लेन-देन नहीं रह जाता। सिर्फ एक लेन-देन रहता है कि पूजा कर लेते हैं, वर्ष में कभी एक दिन त्यौहार मना लेते हैं, शोरगुल मचा देते हैं, बात खत्म हो जाती है। उस आदमी से हमें कुछ प्रयोजन नहीं रह जाता।

     - ओशो  

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