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    विश्वास के सागर में विचार की बूंदें खो जाती है - ओशो

     

    Thoughts are lost in the ocean of faith - Osho

    विश्वास के सागर में विचार की बूंदें खो जाती है - ओशो 

    बुद्ध पैदा हुए। अब बुद्ध जैसा विचार करने वाला पृथ्वी पर मुश्किल से कभी कोई पैदा होता है। हम बुद्ध को भी पी गए। बुद्ध ने कहा, कोई भगवान नहीं है। हमने कहा कि तुम्ही भगवान हो। बुद्ध ने कहा, कोई मूर्तियां मत बनाना, किसी की पूजा मत करना, कोई पूज्य नहीं है। हमने बुद्ध की इतनी मूर्तियां बनाईं जितनी दुनिया में किसी आदमी की नहीं हैं। बुद्ध के एक-एक मंदिर हैं ऐसे आज पृथ्वी पर जिनमें दस-दस हजार मूर्तियां हैं। बुद्ध की मूर्तियां इतनी बनीं, इतनी बनीं, कि दुनिया पहली दफे बुद्ध की मूर्तियों के द्वारा ही मूर्तियों से परिचित हुई। इसलिए जब हिंदुस्तान के बाहर मूर्तियां गईं तो सबसे पहले बुद्ध की मूर्तियां गईं। इसलिए अरब में और ईरान में और इराक में जब पहली दफे मूर्तियां गईं तो बुद्ध की गईं। उन्होंने पूछा, ये क्या है? तो लोगों ने कहा, ये बुद्ध हैं। इसलिए उनके पास मूर्ति का जो शब्द है, वह है बुत। बुत, बुद्ध का बिगड़ा हुआ रूप है। उन्होंने समझा कि यह बुत है। बुद्ध ही उनके लिए मूर्ति का पर्यायवाची बन गया। बुत, बुद्ध का बिगड़ा हुआ रूप है। बुतपरस्त का मतलब है, बुद्धपरस्त। और बुद्ध ने कहा था, मेरी मूर्तियां मत बनाना! 

            यह मुल्क बहुत अदभुत है। इसके अचेतन मन में विश्वास इतना गहरा है कि इसने कहा कि इतना अच्छा आदमी पैदा हुआ बुद्ध, जिसने हमें सिखाया मूर्तियां न बनाना, तो कम से कम इसकी मूर्तियां तो बना ही दें! इसकी तो पूजा करें ही! बुद्ध ने कहा, किसी की शरण में मत जाना, क्योंकि जो किसी की भी शरण में जाता है वह आत्मघाती है। हमने कहा, बुद्धं शरणं गच्छामि! हम बुद्ध की ही शरण में जाते हैं; क्योंकि तुमने हमें ज्ञान दिया; तुमने हमें जगाया; अब हम तुम्हारी शरण में आते हैं। इसे तोड़ना पड़े। इसलिए हम पच्चीस सदियों में...ऐसा नहीं कि हमने विचारक पैदा नहीं किए, हमने विचारक पैदा किए, लेकिन विश्वास के सागर में विचार की बूंदें खो गईं--गिरी और खो गईं, गिरी और खो गईं--और हम उनको आत्मसात करते चले गए।

    इसे तोड़ना पड़े। इसलिए हम पच्चीस सदियों में...ऐसा नहीं कि हमने विचारक पैदा नहीं किए, हमने विचारक __ पैदा किए, लेकिन विश्वास के सागर में विचार की बूंदें खो गईं--गिरी और खो गईं, गिरी और खो गईं--और हम उनको आत्मसात करते चले गए। दूसरे मुल्कों ने विचार को आत्मसात नहीं किया, दूसरे मुल्क विचार से लड़े और लड़ने में उनको बदलना पड़ा। यूनान ने सुकरात को सूली पर चढ़ा दिया, हमने बुद्ध की पूजा कर ली। अब यह मैं आपसे कहंगा कि यूनान को बुद्ध अगर मिलते तो वे उनको भी सूली पर चढ़ा देते; क्योंकि वे कहते कि गलत है यह बात, हम विश्वासी हैं, तो हम विचार की बात न मानेंगे। लेकिन यह विचार की यात्रा शुरू हो गई। 

            अगर हमने बुद्ध से कहा होता कि हम श्रद्धालु लोग हैं, हम तुम्हारी बात न मानेंगे, तो भी अच्छा होता; क्योंकि न मानने के लिए भी विचार करना पड़ता है। हमने कहा, हम विश्वासी लोग हैं, आप जो कहते हो विश्वास के खिलाफ, हम इसको भी मान लेंगे, हम आपकी भी पूजा करेंगे। हमने एक तीर्थंकर को गोली न मारी, हमने एक बुद्ध को सूली पर न चढ़ाया, क्योंकि हम उनको आत्मसात कर गए। यूनान ने सुकरात को जहर पिला दिया। जेरुसलम ने जीसस को सूली पर लटका दिया। लड़े वे बुरी तरह। उन्होंने कहा, हम विश्वासी हैं, हम तुम्हारी बात कैसे मानेंगे! लेकिन इस लड़ने में उनको विचार में पड़ जाना पड़ा और यूनान में पहली दफा विज्ञान का जन्म हो गया। सुकरात को यूनान अभी तक नहीं पचा पाया, लेकिन हम पचा गए सबको। यह हमारा दुर्भाग्य सिद्ध हुआ। बुद्ध जैसे आदमी को भी हमने अवतार बना दिया कि तुम भी भगवान हो, तुम्हारी भी पूजा करेंगे, बैठो मंदिर में, हमें परेशान मत करो, हम जैसे हैं हम वैसे ही रहेंगे।

    - ओशो 

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