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    इस देश को एक विचार की क्रांति की जरूरत है - ओशो

     
    This country needs a revolution of thought - Osho

    इस देश को एक विचार की क्रांति की जरूरत है  - ओशो 

    मैंने सुना है, एक गधे ने अखबार पढ़ना सीख लिया था।

            मुझे भी हैरानी हई कि गधे ने अखबार पढ़ना कैसे सीख लिया! लेकिन फिर मुझे पता चला कि गधे और कुछ कर भी तो नहीं सकते हैं सिवाय अखबार पढ़ने के। गधा अखबार पढ़ने लगा तो गधा ज्ञानी हो गया। बहुत-से गधे अखबार पढ़ कर ही ज्ञानी हो जाते हैं। जब वह अखबार पढ़ने लगा तो वह भाषण देना भी सीख गया।

            क्योंकि अखबार जो पढ़ लेता है वह भाषण भी दे सकता है। भाषण में और कुछ तो करना नहीं पड़ता, अखबार जो आपके दिमाग में डाल दें उसे मुंह से निकाल देना पड़ता है। और फिर गधे के पास तो बहुत सशक्त मुंह है, शास्त्रीय कला है। वह भाषण देने लगा। और जब वह भाषण देना सीख गया तो उसने सोचा कि अब छोटे-मोटे गांव में क्या रहना, दिल्ली की तरफ चलना चाहिए। क्योंकि गधों को जैसे ही बोलना आ जाए, अखबार पढ़ना आ जाए, वे एकदम दिल्ली की तरफ जाने शुरू हो जाते हैं। वह गधा एकदम दिल्ली पहुंचा। गधों को दिल्ली पहुंचने से रोकना भी बहुत मुश्किल है। क्योंकि उस गधे ने दस-पच्चीस और आस-पास के गधे इकट्ठे कर लिए थे। और जिसके पास भीड़ है वह नेता है। वह दिल्ली पहुंच गया। 

            यह जरा पुरानी बात है, पंडित नेहरू जिंदा थे। वह पंडित नेहरू के मकान पर सीधा पहुंच गया। संतरी खड़ा हुआ था द्वार पर, वह आदमियों को रोकने के लिए था, गधों को रोकने के लिए नहीं! उसने गधे की कोई फिक्र न की। संतरी गधों की फिक्र नहीं कर रहे हैं और गधे महलों में घुस जाते हैं। वह गधा अंदर घुस गया। पंडित नेहरू सुबह ही सुबह अपनी बगिया में टहलते थे। उस गधे ने पीछे से जाकर कहा, पंडित जी! पंडित जी बहुत घबड़ाए, क्योंकि न वे भूत-प्रेत में मानते थे, न भगवान में मानते थे। चारों तरफ चौंक कर उन्होंने देखा। उन्होंने कहा कि क्या मामला है? यह आवाज कहां से आती है? क्योंकि मैं भूत-प्रेत में मानता ही नहीं। कौन बोल रहा है? वह गधा डर गया। उसने कहा कि मैं बहुत डर रहा हूं, शायद आप नाराज न हो जाएं। मैं एक बोलता हुआ गधा हूं। आप नाराज तो नहीं होंगे? पंडित नेहरू ने कहा कि मैं रोज बोलते हुए गधों को इतना देखता हूं कि नाराज होने का कोई कारण नहीं है। किसलिए आए हो?

            उस गधे ने कहा कि मैं बहुत डरता था कि आप मुझसे मिलेंगे या नहीं मिलेंगे! आपकी बड़ी कृपा, आप मुझे मिलने का वक्त दे सकते हैं? मैं एक गधा हूं, मिलने का वक्त मिल सकता है? पंडित नेहरू ने कहा, यहां गधों के अतिरिक्त मिलने के लिए आता ही कौन है! अच्छे आए, क्या प्रयोजन है? उस गधे ने कहा, मैं नेता बनना चाहता हूं। पंडित नेहरू ने कहा कि बिलकुल ठीक है। गधे होने का यही लक्षण है कि आदमी नेता बनना चाहता है!

    यह सारा का सारा देश नेता बनने की कोशिश में है। इस देश को नेताओं की जरूरत नहीं है। इस देश को  अनुयायियों की, भीड़ की भी जरूरत नहीं है। इस देश को अब उन लोगों की जरूरत है जो विचार करते हैं। इस देश को अब उन लोगों की जरूरत है जो विचार के बीज फेंकते हैं। इस देश को उन लोगों की जरूरत है जो इस देश के सोए हुए विचार को जगाएं। इस देश को एक विचार की क्रांति की जरूरत है। इस मुल्क को राजनीति की नहीं, एक आत्मिक क्रांति की जरूरत है।

    - ओशो 

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