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    साधक का अर्थ - ओशो

    Meaning of Seeker - Osho


     साधक का अर्थ - ओशो 

    रवींद्रनाथ मृत्युशैया पर थे। उसके दो दिन पहले, किसी मित्र ने उनसे कहा कि आप ने इतने गीत गाए कि आप तो धन्यभागी हैं और आप तो आपने तो पा लिया उसे , जो पाने जैसा था। रवींद्रनाथ ने कहा, मेरे मित्र, जो गीत मैंने गाए, उनका कोई भी मूल्य नहीं है। लेकिन जिन गीतों को गाते वक्त, मैं मौजूद ही नहीं था, बस, उ नका ही थोड़ा सा मूल्य है। और मैंने दो तरह के गीत गाए| एक, जो मैने गाए, उ नका कोई मूल्य नहीं है। दो, जिनको मैंने आया ही नहीं, मैं केवल बांसूरी बन गया, किसी और ने गाया। और मुझ से वे बह गए और प्रवाहित हो गए, उनका मूल्य है। जिन गीतों के लिए लोगों ने मुझे धन्यवाद दिया है, वे मैंने गाए ही नहीं थे। जो मैंने गाए थे, उनमें तो भूल हो गयी है। उनमें बात नहीं है, वह अमृत स्वर नहीं है 

            साधक का अर्थ है, इतना खाली हो जाना कि वह समष्टि का माध्यम बन जाए, बांसुरी बन जाए। उससे सारा संगीत बह जाए। साधक का अर्थ है, इतना शून्य, इतना पोला हो जाना कि परमात्मा उससे प्रवाहित हो सके, मार्ग बन जाए। साधक का अर्थ है मार्ग बन जाना, माध्यम बन जाना, केवल बीच का सेतु बन जाना ताकि परमात्मा उससे प्रकट हो सके। वह जो समष्टि है, वह जो सबके भीतर छिपा हुआ प्राणों का संगीत है, वह उसके लिए बांसुरी बन जाए।

    - ओशो

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