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    केवल वे ही लोग जगत में दर्शन को उपलब्ध होते हैं जो निर्विचार देखना सीख जाते हैं - ओशो

    Only those people are available in the world for darshan who learn to see thoughtless - Osho
    Only those people are available in the world for darshan who learn to see thoughtless - Osho


     केवल वे ही लोग जगत में दर्शन को उपलब्ध होते हैं जो निर्विचार देखना सीख जाते हैं - ओशो 

    मेरे एक मित्र सारी दुनिया का चक्कर लगा कर लौटे। उन्होंने बहुत झीलें देखीं, बहू त प्रपात देखे। फिर वे मेरे गांव में आए। मैंने उनसे कहा कि गांव के पास भी एक प्रपात है, वह मैं दिखाने ले चलूं? वे बोले, मैंने बहुत बड़े बड़े प्रपात देखते हैं, इसक ो देखने से क्या होगा? मैंने कहा, अगर उन प्रपातों का विचार आप छोड़ दें तो यह प्रपात भी देखने में अदभूत है। अगर उन प्रपातों का विचार आप छोड़ दें और वह आपकी आंख में तैरते न रहें तो आपको यह प्रपात भी दिखाई पड़ेगा और यह ब हुत अदभुत है। वे मेरे साथ गए, दो घंटे हम उस प्रपात पर थे, लेकिन उन्होंने एक क्षण भी उस प्र पात को नहीं देखा। वह मुझे बताते रहे, अमेरिका में कोई प्रपात कैसा है, स्विटजर लैंड में कोई प्रपात कैसा है। उन्होंने कहां-कहां प्रपात देखे, इसकी चर्चा करते रहे। 

            दो घंटे के बाद जब हम वापस लौटे तो वह मुझसे बोले, बड़ा सुंदर प्रपात था। मैंने कहा, यह बिलकुल झूठ कर रहे हैं। इस प्रपात को आपने देखा नहीं। यह प्रपात आपको दिखाई नहीं पड़ा और मुझे अनुभव हुआ कि मैं एक अंधे आदमी को लेकर आ गया हूं। वह बोल, मतलब? मैंने कहा, आप उन प्रपातों के विचार से इतने भरे थे, आपकी आंखें इतनी बोझिल थीं, आपका चित्त इतना कंपित था, आपके भीतर इतनी स्मृति यां घूर रही थी कि उन सबके पार इस प्रपात को देखना असंभव था। इस प्रपात को देखने की जरूरत अगर अनुभव होती तो सारी स्मृतियों को, उन सारे विचारों को, उन सारे खयालों को छोड़ देने की जरूरत थी। जब वे छूट जाते तो वह स्थान मि लता, खाली और स्वच्छ, जहां से इसके दर्शन हो सकते थे। केवल वे ही लोग जगत में दर्शन को उपलब्ध होते हैं जो निर्विचार देखना सीख जा ते हैं। जिनमें देखने की एक ऐसी क्षमता पैदा होती है जो विचार में नहीं, निर्विचार में है। और तब ऐसे लोगों ने ही यह कहा है कि सारा जगत परमात्मा से आच्छन्न है। 

     - ओशो 

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