जो आदमी अपने ही चित्रों और प्रतिमाओं को छोड़ दे, उसको मैं साधु कहता हूँ - ओशो
जो आदमी अपने ही चित्रों और प्रतिमाओं को छोड़ दे, उसको मैं साधु कहता हूँ - ओशो
एक साधु था, वह एक गांव के बाहर ठहरा हुआ था। युवा था और सुंदर था। तो गांव में एक स्त्री, एक युवती गर्भवती हो गयी और उससे लोगों ने पूछा, दबाव डा ला तो उसने कहा-यह साधु का बच्चा है। बच्चा उसे हुआ, सारा गांव कुपित हो ग या। उन्होंने जाकर बच्चा उस साध के ऊपर पटक दिया। उसने पूछा-क्या बात है?
उन लोगों ने कहा-यह तुम्हारा बच्चा है। वह बोला-इज इट सो? ऐसा है क्या? व ह बच्चा रोने लगता तो उसे वह संभालने में लग गया। लोगों ने गाली बकी अपमा न किया और चले गए। वह दोपहर को भीख मांगने निकला उस बच्चे को लेकर। लेकिन उसको कौन भीख देता। सारे गांव में अफवाह फैली थी और उस पर हंसी मजाक और व्यंग्य कसा जा रहा था। जहां से निकले लोग भीड़ बना कर खड़े है और देख रहे हैं, हंसी उड़ा र हे हैं कि यह साधु है और बच्चे को भी लिए हुए है। अब उसको भूख भी लगी है। बच्चे के लिए दूध भी चाहिए और बच्चा रो रहा है, वह बेचारा सारे गांव में मांग रहा है। कौर उसको भिक्षा देगा? कोई भिक्षा उसे नहीं मिली।
वह उस घर के सामने गया जिस घर की लड़की का वह बच्चा था। उसने वहां भी आवाज दी। उसने कहा, मुझे भीख न दो, इस बच्चे को भीख दे दो। इसको दुख मि ल जाए तो बहुत। जिस लड़की का वह बच्चा था, उसके लिए सहना कठिन हो गया । वह इनटालरेबल हो गया। उसने अपने पिता से कहा, मुझे क्षमा करें, मैंने झूठ क ह दिया। साधु का तो कोई संबंध नहीं है इससे । यह मैंने असली बाप को बचाने के लिए साधु का नाम ले लिया। मैंने सोचा था कि मामला खत्म हो जाएगा साधु का।
आप भगावगा कर वापस लौट आओगे। यह जो हालत हो रही है, इसकी मैंने कल पना नहीं की थी। पिता बोला, अरे! उसने कहा भी नहीं कि यह मेरा बच्चा नहीं है। उस नासमझ को कहना तो चाहिए था। वे सारे लोग नीचे गए, उसके हाथ पैर जोड़े। वह बोला, क __या बात है? उससे जब वे बच्चा छीनने लगे तो बोला, क्या बात है? तो उन्होंने कहा, यह बच्चा तुम्हारा नहीं है। वह बोला, इज इट सो? ऐसा मामला है, क्या बच्च [ मेरा नहीं है? जब सांझ को लोगों ने उससे पूछा कि तुम कैसे पागल हो? तुमने सुबह ही क्यों नहीं कह दिया तो वह बोला, जब इतने लोग कहते हैं तो ठीक होगा।
असल में अपनी कोई उसकी कल्पना ही नहीं है, कोई प्रतिमा नहीं है जिसको बचान [ है। यह कोई प्रतिमा नहीं है कि मैं बाल ब्रह्मचारी हूं और यह मेरा कैसे हो सकत । है? यह कोई प्रतिमा नहीं है अपनी। तुम चाहते हो तो यही ठीक होगा। तुम गल ती पर होगे तो तुम्हीं अपनी गलती ठीक कर लेना। मैं कहां जिम्मेवार हूं उसको ठीक करने का। अगर तुम मुझे व्यभिचारी और दुराचारी समझोगे तो यह भी ठीक है, ___ क्योंकि मुझे इसकी भी रक्षा नहीं करनी है। जो आदमी इस भांति अपने ही चित्रों _और प्रतिमाओं को छोड़ दे, उसको मैं साधु कहता हूं।
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