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    जिसके पार नहीं देखा जा सकता है, उसका नाम सत्य है - ओशो

    The beyond which cannot be seen, that name is true - Osho


     जिसके पार नहीं देखा जा सकता है, उसका नाम सत्य है - ओशो 

    जिसके पार देखा जा सकता है, उसका नाम संसार है और जिसके पार नहीं देखा ज । सकता है, उसको नाम सत्य है। जहां तक हमारी दृष्टि प्रवेश कर सकती है, जहां तक दृष्टि की गति है, वहां तक संसार है। और जहां दृष्टि की अगति हो जाती है और दृष्टि आगे जा ही नहीं सकती, अंतिम क्षण आ जाता है, तब अंतिम बिन्दु अ [ जाता है, जिसके पार दृष्टि शून्य हो जाती है, जिसके पार देखने को कुछ रह नहीं जाता। उस जगह का नाम सत्य है, उस जगह का नाम परमात्मा है। उसे जो मंदि र में खोज रहा है, वह नासमझ है। मंदिर के तो पार देखा जा सकता है, वह तो संसार का हिस्सा है। जो उसे शास्त्र में खोज रहा है, वह नासमझ है। शास्त्र के तो पार देखा जा सकता है, शास्त्र तो पदार्थ का हिस्सा है। परमात्मा को तो वहां खोजना होगा, जिसके पार नहीं देखा जो सकता। कौन-सी चीज है ऐसी, जिसके पार आप नहीं देख सकते? अगर आप अपने भीतर प्रविष्ट होंगे तो आपके सिवाय ऐसी कोई चीज नहीं जिसके पार आप देख सकते हैं।

            हर चीज के पार देखा जो सकता है, सिवाय आपको छोड़ कर। जब आप भीतर प्र विष्ट होंगे तो आपको अपने ही भीतर एक बिन्दु उपलब्ध होगा, जिसके आर-पार क ही नहीं देखा जा सकता। वह दृष्टा का बिन्दु है। जो देख रहा है, उसको ही केवल देखा नहीं जा सकता। जो देख रहा है, इस जगत में उसको ही केवल देखा नहीं जा सकता। उस बिन्दु पर स्थिर होकर, व्यक्ति सत्य को अनुभव करता है, परमात्मा को अनुभव करता है और उस दिन जो प्रकाश उसमें उत्पन्न होता है, उस दिन जो प्रतीति में आता है, वह उसके सारे जीवन को बदल देता है। 

    - ओशो 

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