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    आत्मसाधना ही मुक्ति का मार्ग - ओशो

    Self-realization is the way of liberation - Osho


    आत्मसाधना ही मुक्ति का मार्ग - ओशो 

    हम जीते हैं, लेकिन इस जीवन में कोई आनंद, कोई शांति और कोई संगीत अनुभ व नहीं होता। सारी दुनिया एक तरह की विसंगति से भर गयी है, सारी दुनिया के लोग ऐसी पीड़ा और संताप से भर गए हैं कि उन्हें ऐसा प्रतीत होने लगा है जो ज यादा विचारशील है, उन्हें दिखाई पड़ता है कि जीवन का तो कोई अर्थ नहीं है। इ ससे तो मर जाना बेहतर है। और बहुत से लोगों ने पिछले पचास वर्षों में, बहुत से विचारशील लोगों ने आत्महत्याएं की हैं। वे लोग नासमझ नहीं थे, जिन्होंने अपने को समाप्त किया है। 

            आज जीवन की यह जो स्थिति है, आज जीवन की यह जो परिणति है, आज जीव न का जो दुख और पीड़ा है, इसे देख कर, कोई भी अपने को समाप्त कर लेना चा हेगा। ऐसी स्थिति में, केवल नासमझ ही जी सकता हैं। ऐसी पीड़ा और तनाव को, केवल अज्ञानी ही झेल सकते हैं। जिसे थोड़ा भी बोध होगा, वह अपने को समाप्त कर लेना चाहेगा। इसका तो अर्थ यह हुआ कि जिनको बोध होगा, वे आत्महत्या कर लेंगे? लेकिन महावीर ने, बुद्ध ने आत्महत्या नहीं की और क्राइस्ट ने आत्महत्या नहीं की, कंफ्यूशियस और लाओत्से ने आत्महत्या नहीं की! दुनिया में ऐसे लोग हुए हैं, जिन्होंने आत्महत्या के अतिरिक्त एक और मार्ग सोचा और जाना ।

            मनुष्य के सामने दो ही विकल्प हैं या तो आत्महत्या है या आत्मसाधना है। जो व्या क्त इन दोनों में से कोई विकल्प नहीं चुनता, उसे जानना चाहिए कि वह एक व्यर्थ के बोझ को ढो रहा है। वह जीवन को अनुभव नहीं कर पाएगा। वह करीब-करीब मृत है, उसे जीवित भी नहीं कहा जा सकता।

     - ओशो 

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