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    मुक्ति का मार्ग - ओशो

    Path to Salvation - Osho


    मुक्ति का मार्ग - ओशो 

    एक बहुत पुरानी कथा है-एक हिंदू कथा है, कहानी काल्पनिक ही है। नारद एक गां व के करीब से निकले। एक वृद्ध साधु ने उनसे कहा कि तुम भगवान के पास जाओ तो उनसे पूछ लेना कि मेरी मुक्ति कब तक होगी, मुझे मोक्ष कब तक मिलेगा? मुझे साधना करते हुए बहुत समय बीत गया। नारद ने कहा-मैं जरूर पूछ लूंगा। वह आगे बढ़े तो बरगद के दरख्त के नीचे एक नया-नया फकीर, जो उसी दिन फकीर हुआ था, तंबूरा लेकर नाच रहा था। नारद ने उससे मजाक में पूछा-तुमको भी पू छना है भगवान से कि कब तक तुम्हारी मुक्ति होगी? वह कुछ बोला नहीं । 

            जब नारद वापस लौटे तो उस वृद्ध फकीर से उन्होंने जाकर कहा-मैंने पूछा था भगव न बोले कि अभी तीन जन्म और लग जायेंगे। वह अपनी माला फेरता था, उसने गु स्से में अपनी माला नीचे पटक दी। उसने कहा-तीन जन्म और! यह तो बड़ा अन्याय है, यह तो हद हो गयी। नारद आगे बढ़ गए। वह फकीर नाच रहा था, उस वृक्ष के नीचे। उससे कहा-सुनते हैं! आपके बाबत भी पूछा था। लेकिन बड़े खेद की बात _है, उन्होंने कहा कि वह जिस दरख्त के नीचे वह नाच रहा है, उसमें जितने पत्ते हैं, उतने जन्म लग जायेंगे। वह फकीर बोला-तब तो पा लिया और वापस नाचने ल गा। वह बोला-तब तो पा लिया, क्योंकि दरख्त पर कितने पत्ते हैं, इतने पत्ते, इतने जन्म न-तब तो जीत ही लिया, पा ही लिया। वह पून: नाचने लगा। और कहानी कहती है, वह उसी क्षण मुक्ति को उपलब्ध हो गया-उसी क्षण।

     - ओशो 

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