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    कोई कर्म भविष्य में फल नहीं लाता - ओशो

    कोई कर्म भविष्य में फल नहीं लाता - ओशो No action bears fruit in future - Osho


    कोई कर्म भविष्य में फल नहीं लाता - ओशो 

            दो तरह के इमाशंस हैं-नैगेटिव और पॅजिटिव । इमोशंस हैं, जैसे क्रोध है, घृणा है। इ नसे आपको तत्क्षण नुकसान हो जाता है। आगे कभी नहीं, उसी वक्त आप में से कु छ खो जाता है, आप खंडित हो जाते हैं, आप नीचे हो जाते हैं। आप कभी अनुभव करें कि क्या हुआ? आप पायेंगे कि आप ऊंचे तल पर थे, नीचे आ गये| आप कह शांति में थे, वह शांति गयी, आप बड़ी अशांति में आ गये। आप पायेंगे, कुछ अग र ताजगी थी भीतर तो वह ताजगी खो गयी, सब बासी-बासी हो गया। आपमें अग र कोई शक्ति अनुभव होती थी, वह शक्ति चली गयी और आप बहुत थके-थके मा लूम हो रहे हैं। जो-जो चित्त की प्रक्रियाएं आपको थकान लाती हों, कष्ट लाती हों, उदासी लाती हों, नीचे उतर जाने का भाव लाती हों, अशांति लाती हों, वे सब ने गेटिव हैं। 

            पॉजिटिव व्हीं हैं कि जिनको करने के बाद आप अनुभव करते हैं कि आप और ताजा हो गये। जिनको करने के बाद आप अनुभव करते हैं कि और शक्ति अनुभव हो रही है, जिनको करने के बाद आपको अनुभव होता है की शांति घनी हो। गयी, जिनको करके आपको अनुभव होता है कि आपने दो सीढ़ियां अपने आंतरिक जीवन में ऊपर चढ़ी हैं। यह निरंतर आपको अनुभव होगा। दोनों तरह के काम आप कर रहे हैं और दोनों तरह के काम का हर एक को अनुभव है। तो मेरी धारणा है कि कोई कर्म भविष्य में फल नहीं लाता। कर्म ही फल है उसी क्षण | कोई हिसाब-किताब कौन रखेगा? इससे मतलब क्या है ? यह सब फिजूल का, पागलपन का खयाल है कि कोई हिसाब-किताब रखेगा और फिर आपको नरक भे जेगा या स्वर्ग भेजेगा।

     - ओशो 

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