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    स्वर्ग और नर्क हमारी सुख और कष्ट की कल्पनाएं मात्र हैं - ओशो

    Heaven and Hell are just our imaginations of happiness and suffering - Osho


    स्वर्ग और नर्क हमारी सुख और कष्ट की कल्पनाएं मात्र हैं - ओशो 

            आप हैरान होंगे कि सारी दुनिया के लोगों की, स्वर्ग-नरक की धारणाएं भिन्नभिन्न बनी हैं, क्योंकि वह तो साइकोलाजिकली है। तिब्बत-तिब्बत में जो नरक है, उनकी जो कल्पना है नरक की, वह बड़े ठंडे स्थान की है, क्योंकि तिब्बत में ठंडक बहुत कष्टप्रद है, ठंडक से कष्ट प्रद, तिब्बत में कुछ भी नहीं है। तो तिब्बत कि जो  कल्पना है नरक की कि जो पानी होंगे, वह ऐसे स्थान में जायेंगे जहां इतनी ठंडक  है कि उनकी मुसीबत हो जायेगी। इस ठंडक से बड़ी मुसीबत नहीं है कोई। हमारे मुल्क की जो कल्पना है नरक की, वह अग्नि की लपटों वाली है। वहां ठंडक नहीं है। नहीं तो हमको तो वह हिल-स्टेशन साबित होगा। तो हमारे मुल्क में हम स चते हैं, तो नरक है, वहां अग्नि की लपटें उठ रही हैं, उसमें डाला जायेगा और क डाहियां गर्म हो रही हैं तेल की, उनमें पटका जायेगा। वे हमारी कल्पनाएं हैं, क्यों क गरमी हमें कष्ट देती है तो हम सोचते हैं कि पापी हो कष्ट देने के लिए तो गर म जगह होगी। तो नरक तिब्बत में ठंडी जगह है और भारत में गरम जगह है। नर क ऐसा नहीं हो सकता है या उसमें ऐसे खंड नहीं हो सकते कि वहां ठंडा ही नरक है।

            तो असल में, यह हमारी कष्ट की जो कल्पनाएं हैं, उनको हम इस भांति कल्पित कर लेते हैं। कष्ट मानसिक घटना है, भौगोलिक घटना नहीं है। अभी भी आप जब बुरा हरते हैं तो आपके भीतर अत्यंत कष्टप्रद स्थितियों का निर्माण होता है। अभी कभी-कभी होता है, अगर आप निरंतर बुरा करते जायेंगे तो वह सतत होने लगेगा और करते ही चले जायेंगे तो एक घड़ी ऐसी आ सकती है कि आप चौबीस घण्टे नरक में होंगे। तो आदमी कभी नरक में होता है, कभी स्वर्ग में होता है। फिर बहु त बुरा आदमी, अधिकतर नरक में रहने लगता है, बिलकुल भला आदमी, बिलकुल स्वर्ग में रहने लगता है। जो भले और बुरे दोनों से मुक्त है, वह आदमी मोक्ष में रहने लगता है। 

            मोक्ष में रहने का मतलब है आनंद। कोई स्थान नहीं है, कहीं स्पेस में खोजने पर, यह जगहें नहीं मिलेंगी कि यह रहा स्वर्ग और यह रहा नरक। इसलिए मनुष्य की जो साइकोलाजी है, उसका जो मानसिक जगत है, उसके विभीजन हैं। तो मानसिक जगत के तीन विभीजन हैं-नरक, स्वर्ग और मोक्ष। नरक से जैसा आज सुबह मैंने कहा दुःख, स्वर्ग से जैसा मैंने आज सुबह कहा सुख, मोक्ष से मेरा मतल ब है न सुख, न दुःख, वह जो आनंद है।

    - ओशो 

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