मुर्दो को मुर्दे दफनाने दो, तुम मेरे पीछे आओ - ओशो
मुर्दो को मुर्दे दफनाने दो, तुम मेरे पीछे आओ - ओशो
क्राइस्ट के जीवन का एक उल्लेख है वह एक गांव से गुजर रहे थे और एक मछुए को उन्होंने मछलियां मारते देखा। वे उसके पीछे गए, उसके कंधे पर हाथ रखा और उस मछुए से कहा तुम कब तक मछलियां मारने में जीवन गंवाते रहोगे? मछलियां मारने के अलावा भी कुछ और है। और क्राइस्ट हमारे कंधे पर भी हाथ रख कर यही पूछ रहे हैं कि कब तक तुम मछलियां मारते रहोगे? उसने लौट कर देखा उनकी आंखों में और उसे प्रतीत हुआ कि जीवन में मछलियां मारने से भी ज्यादा कुछ है, जो पाया जा सकता है। उनकी गवाही क्राइस्ट की आंखें थीं। उसने कहा मैं तैयार हूं।जिस रास्ते पर आप ले चलना चाहें, मैं चलूंगा। क्राइस्ट ने कहा मेरे पीछे आओ। उसने जाल को वहीं फेंक दिया और क्राइस्ट के पीछे गया।
वह गांव के बा हर ही निकल पाया था कि किसी ने आकर खबर दी कि तुम्हारा पिता जो बीमार था, उसकी अभी-अभी मृत्यु हो गयी है। तुम घर लौट चलो। उसका अंतिम संस्कार करके जहां भी जाना हो, चले जाना। उस मछूए ने क्राइस्ट से कहा-मैं जाऊं, अपने पिता की अत्येष्टि कर आऊं, फिर मैं लौट आऊंगा, क्राइस्ट ने एक बड़े अदभुत ब [त कही, लेट दी डैड बरी देयर डैड, मुर्दो को मुर्दे दफनाने दो। तुम मेरे पीछे आओ । यह वचन बहुत अदभुत है। उन्होंने यह कहा, मुर्दे मुर्दे को दफना लेंगे, तुम मेरे पछे आओ। हम सबकी गिनती उन्होंने मुर्दो में की और सारी जमीन पर बहत कम लोग जीवित हैं, अधिक लोग मुर्दे ही हैं। तीन अरब लो हैं अभी इनमें अधिक लोग मुर्दे हैं, मुशिकल से कोई आदमी जीवित है। यह मैं क्यों कह रहा हूं आपसे कि मुर्दे हैं? हम तब तक मुर्दे ही हैं, हम मरे हुए ही लोग हैं जो किसी भांति जी रहे हैं और चल रहेहैं। हम लाशों की भांति है, जो चल रही है। हम तब तक लाशों की भांति होंगे, जब तक हमें वास्तविक जीवन का पता न चल जाएगा।
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