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    अंतस में छिपे खजाने की खुदाई - ओशो

     

    Digging-the-hidden-treasure-within-Osho

    प्रिय सोहनवाई प्रेम। 

                तुम्हारा पत्र मिला है। जो शांति मुझमें है, उसे चाहा है। किसी भी क्षण वह तुम्हारी ही है। वह हम सब की अंतर्निहित संभावना है। केवल उसे खोदना और उघाड़ना है। जैसे मिट्टी की परतों में जलस्रोत दवे रहते हैं, ऐसे ही हमारे भीतर आनंद का राज्य । छपा हुआ है। यह संभावना तो सब की है, पर जो उसे खोदते हैं, मालिक केवल वे ही उसके हो पा ते हैं। धर्म अंतस में छिपे उस खजाने की खुदाई का उपाय है। वह स्वयं में प्रकाश का कुंआ खोदने की कुदाली है। वह कुदाली तो मैं तुम्हें बताया हूं, अव खोदना तुम्हें है। मैं जान रहा हूं कि तुम्हारे चित्त को भूमि बिलकुल तैयार है।

                और बहुत अल्प श्रम से अनंत जलस्रोतों को पाया जा सकता है। चित्त की ऐसी स्थिति बहुत सौभाग्य से मिलती है। इस सौभाग्य, और इस अवसर का पूरा उपयोग करना है। ऐसे संकल्प से अपने को भरो, और शेष प्रभू पर छोड़ दो। सत्य सदा संकल्प के साथ है। पत्र लिखने में संकोच कभी मत करना। मेरे पास तुम्हारे लिए बहुत समय है। उनके ही लिए हूं, जिनको मेरी जरूरत है।

            मेरे जीवन में मेरे लिए अब कुछ भी नहीं है। श्री मणिकलाल जी को मेरा प्रणाम । 



    रजनीश के प्रणाम
    २३-११-१९६४ प्रति : सुश्री सोहन वाफना, पूना

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