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    प्यास, प्रार्थना, प्रयास और प्रतीक्षा - ओशो

    Thirst-Prayer-Effort-and-Waiting-Osho


    परम प्रिय, 

        प्रेम। 

            पत्र मिला है। उससे आनंदित हूं। सत्य के लिए, शांति के लिए, धर्म के लिए, हृदय जब इतनी अभीप्सा से भरा है, तो एक न एक दिन उस सूर्य के दर्शन भी होंगे ही जिसके साक्षात से ही जीवन का सव अंधकार दूर हो जाता है। प्यास करो। प्रार्थना करो। प्रयास करो और प्रतीक्षा करो। छोटे छोटे कदम कैसे हजारों मिल का फासला तय करेंगे, इससे घबड़ाना मत। एक ए क कदम चलकर ही अनंत दूरियां भी तय की जा सकती हैं। बूंद बूंद जुड़कर ही तो सागर भरता है। वहां सवको प्रणाम। मैं तो अब जल्दी ही आ रहा हूं। शेष मिलने पर। त्रिमूर्ति के क्या हाल हैं? 



    रजनीश के प्रणाम
    ३०-८-१९६६ प्रति : श्री जयंती भाई, बंबई

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