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    तैरें नहीं, डूवें - ओशो

     

    Do-not-swim-do-Osho

    मेरे प्रिय, 

        प्रेम। 

            सत्य तैरने से नहीं, डूबने से मिलता है। तैरना, सतह पर है। डूबना उन गहराइयों में ले जाता है जिनका कि कोई अंत नहीं है। 


    रजनीश के प्रणाम
    ७-५-१९७० प्रति : श्री अरविंद कुमार, जलवपुर

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