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    हजारों वर्षों में चीजें बदल जाती हैं - ओशो

    Things-change-in-thousands-of-years-Osho


    प्यारी मौन्, 

        प्रेम। 

            परिवर्तन के अतिरिक्त और सभी कुछ परिवर्तित हो जाता है। वस, परिवर्तन ही एक शाश्वतता है। लेकिन, मनुष्य मन जीता है अतीत से (ढेंज वतपमदजमक) और वही सब उलझनों की उलझन है। एक दिन से लदे वायुयान ही वायुयान ! पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े, जो भी भाग सकते थे, भाग चले। घोड़े, गधे, चूहे, भेड़ें, कुत्ते , विल्लियां, भेड़िये सभी भाग चले। रास्ते भर गए उन्हीं से। इस भागती भीड़ ने राह के किनारे एक दीवार पर दो गिद्धों को वैठे देखा। चिल्लाए सभी-बोले सभी उनसे : भाइयो-भाग चलो। समय न खोओ बैठने की यह घड़ी नहीं। अवसर है तव तक वच निकलो। आदमी फिर युद्ध में उतर रहा है!" लेकिन, गिद्ध सिर्फ मुस्कुराए। वे अनुभवी थे और ज्यादा जानते थे। फिर उनमें से एक ने कहा : हजारों वर्षों से आदमी के युद्ध गिद्धों के लिए सुसमाचार ही सिद्ध हुए हैं। ऐसा हमारे पुरखों ने भी कहा है-ऐसा हमारे शास्त्रों में भी लिखा है -और ऐसा हमारा स्वयं का भी अनुभव है। मित्रों के लाभ के लिए ही परमात्मा आद मी को युद्धों में भेजता है। परमात्मा ने गिद्धों के लिए ही युद्धों और आदमी को बना या है।" और यह कहते न कहते वे दोनों गिद्ध युद्ध की दिशा में परों को फैला कर उड़ गए। लेकिन दूसरे ही क्षण वमों की मार में उनके अवशेष भी शेष न रहे। काश! उन्हें पता होता कि हजारों वर्षों में चीजें बदल जाती हैं! पर आदमी को भी यह कहां पता है? 



    रजनीश के प्रणाम
    १३-११-१९७० प्रति : सुश्री मौन (क्रांति), जबलपुर

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