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    मनुष्य भी बीज है - ओशो

    Man-is-also-a-seed-Osho


    प्यारी योग लक्ष्मी, 

        प्रेम। 

            वीज ही वीज नहीं है। मनुष्य भी वीज है। वीज ही अंकुरित नहीं होते हैं। मनुष्य भी अंकुरित होते हैं। बीज ही फूल नहीं बनते हैं। मनुष्य भी फूल बनते हैं। और धर्म मनुष्यता के बीजों को फूल बनाने का विज्ञान है। 


    रजनीश के प्रणाम
    २२-९-१९७० प्रति : मां योग लक्ष्मी, बंबई

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