• Recent

    विरह, प्यास, पुकार और आंसू - ओशो

    virah-pyaas-pukaar-aur-aansoo-osho


    मेरे प्रिय, 

    प्रेम। 

            विरह शूभ है। प्यास शूभ है। पूकार शूभ है। क्योंकि आसुओं के मार्ग से ही तो उसका आगमन होता है। रोओ, लेकिन इतना कि रोना ही वचे और तुम न वचो। रोने वाला मिट जाए और वस रोना ही वच रहे तो मंजिल स्वयं ही द्वार पर आ जात है। इसलिए ही रोका नहीं था और जाने दिया था। जानता था कि पछताओगे। लेकिन पछताने का मूल्य है। जानता था कि रोओगे। लेकिन रोने का उपयोग है। आंसूओं से ज्यादा गहरी प्रार्थना और क्या है ? रवि को प्रेम। ओम को प्रेम। कंचन और मधू को प्रेम। 


    रजनीश के प्रणाम
    प्रति : श्री सरदारीलाल सहगल, अमृतसर, पंजाब

    कोई टिप्पणी नहीं