जहां शिकायत नहीं है, वहीं प्रार्थना है - ओशो
मेरे प्रिय, प्रेम।
स्व को समर्पित करने के बाद न कोई कष्ट है, न कोई दुख है। क्योंकि, मूलतः स्व ही समस्त दुखों का आधार हैं। और फिर जिस क्षण से जाना जाता है कि प्रभू ही सब कुछ है, इसी क्षण से शिकायत का उपाय नहीं रह जाता है। और जहां शिकायत नहीं है, वहीं प्रार्थना है। वहीं अनूग्रह का भाव है। वहीं आस्तिकता है।
और इस आस्तिकता में ही उसका प्रसाद बरसता है। बनो आस्तिक और जानो। लेकिन आस्तिक बनना सर्वाधिक कठिन है। जीवन को उसकी समग्रता में स्वीकार करने से बड़ी और कोई तपश्चर्या नहीं है।
रजनीश के प्रणाम
१६-११-१९७० प्रति। : श्री सरदारी लाल सहगल, न्यू मिश्री बाजार, अमृतसर, पंजाब
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