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    अटूट संकल्प - ओशो

    Unbreakable-Resolution-Osho


    मेरे प्रिय, प्रेम। 

            ध्यान के जल स्रोत निकट ही हैं। लेकिन दमित काम की पर्ते चट्टानों का काम कर रही हैं। काम का दमन ही आपके जीवन को क्रोध से भी भर गया है। क्रोध का धूआं भी व्यक्तित्व के रोए रोए में है। उस दिन जब आप मेरे सामने ध्यान में गए तब यह सब स्पष्ट दिखाई पड़ा। लेकिन यह भी दिखाई पड़ा कि आपका संकल्प भी प्रवल है। अभीप्सा भी प्रवल है। श्रम भी प्रबल है। इसीलिए, निराशा का कोई भी कारण नहीं है। कठिनाइयां हैं, चट्टानें हैं, लेकिन वे टूट सकेंगी क्योंकि उन्हें तोड़ने वाला अभी टूट नहीं गया है। श्रम करें ध्यान के लिए समग्रता से। शीघ्र ही जल स्रोत उपलब्ध होंगे। लेकिन, दाव पर स्वयं को पूरा ही लगाना होगा। रत्ती भर कम से भी नहीं चलेगा। जरा सी कमी और सब चूक सकता है। समय कम है, इसलिए शक्ति सघन करनी होगी। अवसर खो न जाए इसलिए संकल्प पूर्ण करना होगा। ऐसा अवसर दुवारा किस जन्म में मिलेगा कहना कठिन है। इसलिए, इस जन्म में ही सब पूर्ण कर लेना है। द्वार व खुले तो फिर दूसरे जन्म में सब प्रारंभ से ही शुरू करना होता है। फिर भी मेरा साथ भी निश्चित नहीं है। पिछले जन्म में भी आपने श्रम किया था, 

            लेकिन वह अधूरा रह गया था। उसके पहले भी ऐसा ही हुआ था। विगत तीन जन्मों से आप एक ही वृत्त को पुनरुक्त कर रहे है। अब इस वृत्त को तोड़ ही डालें। बहुत देर तो वैसे ही गई है। अब और देर उचित नहीं है। वहां सबको मेरे प्रणाम। 


    रजनीश के प्रणाम
    १०-६-७० प्रति : लाला सुंदरलाल, दिल्ली

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