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    समाधान की खोज - ओशो

    Solution-Discovery-Osho


    प्यारी रेखा, प्रेम। 

            तेरा पत्र मिला है। उसमें तूने इतने प्रश्न पूछे हैं, कि उत्तर के लिए मुझे महाभारत से भी बड़ी किताब िलखनी पड़ेगी। और फिर भी तुझे उत्तर नहीं मिलेंगे। क्योंकि, कुछ प्रश्न ऐसे हैं, जिनके उत्तर दूसरे से मिल ही नहीं सकते हैं। उनके उत्तर तो स्वयं के जीवन से ही खोजने पड़ते हैं।

            और कुछ प्रश्न ऐसे हैं कि जिनके उत्तर हैं ही हनीं। क्योंकि वे प्रश्न ही गलत हैं। ऐसे प्रश्नों के उत्तर कभी नहीं मिलते हैं। हां-खोजते खोजते अंतत: प्रश्न जरूर गिर जाते हैं। और कुछ प्रश्न ऐसे हैं, जो प्रश्न तो सही हैं, लेकिन उनके उत्तर नहीं हैं। उन्हें तो अंतस में गहरे उतरकर ही जाना जा सकता है। 

    रजनीश के प्रणाम
    ८-४-७० प्रति : कुमारी रेखा गिरधरदास, राजकोट, गुजरात

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