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    शांति और अशांति सब हमारे सृजन हैं- ओशो

    Peace-and-turmoil-are-all-our-creation-Osho


    प्रिय शिरीष, प्रेम। 

            एमदेम व भनउवनत के संबंध में पूछा है। मिलोगी तभी विस्तार से बात हो सकेगी। लेकिन सबसे पहले विनोद का भाव स्वयं के प्रति होना चाहिए। स्वयं के प्रति हंसना व हुत बड़ी बात है। और जो स्वयं के ऊपर हंस पाता है, वह धीरे-धीरे दूसरों के प्रति बहुत दया और करुणा से भरा जाता है। इसी जगत में स्वयं जैसी हंसने योग्य न कोई घटना है, न वस्तु।

            स्वप्नों के सत्य के संबंध में भी विस्तार से ही बात करनी होगी। कुछ स्वप्न निश्चित ही सत्य होते हैं। और मन जितना शांत होता जाएगा, उतनी ही स्वप्नों में भी सत्य की झलकें आनी शुरू होंगी। स्वप्नों के चार प्रकार हैं-

    (१) बीते जन्मों से संबंधित।
    ( २) भविष्य जीवन से संबंधित।
    (३) वर्तमान से संबंधित और।
    (४) दमित कामनाओंसे संबंधित।

            आधुनिक मनोविज्ञान केवल चौथे प्रकार के स्वप्नों के संबंध में ही आंग शक रूप से जानता है। यह जानकर बहुत आनंदित हूं कि तुम्हारा मन क्रमशः शांति की और प्रगति कर रहा है। मन वैसा ही हो जाता है, जैसा कि हम चाहें। अशांति और शांति-सब हमारे सृजन हैं। मनुष्य अपने ही हाथों अपनी ही बनाई जंजीरों में बंध जाता है और इसलिए मन से स्वतंत्र होने के लिए भी यह सदा ही स्वतंत्र है। 


    रजनीश के प्रणाम
    प्रति : सुश्री शिरीष पै, बंबई

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