जीवन : जल पर खींची रेखा-सा - ओशो
मेरे प्रिय, प्रेम।
आपका पत्र मिला है। जन्म-समय की खोज-खवर करनी पड़ेगी। दिन शायद ११ दिसंबर है। लेकिन यह भी पक्का नहीं। लेकिन ज्योतिषी मित्र को कहें : क्यों परेशान होते हैं? भविष्य आ ही जाएगा, इसलिए उसकी ऐसी चिंता नहीं करनी चाहिए। फिर कुछ भी क्यों न हो-अंतत: सब बराबर है। धूल धूल में वापिस लौट जाती है। और जीवन जल पर खींची रेखाओं सा विलीन हो जाता है। वहां सबको मेरे प्रणाम कहें।
रजनीश के प्रणाम
१२-१२-१९६८
ऊपर एक पत्र प्रस्तुत है आचार्य श्री का जो श्री अनूप बाबू, सुरेंद्रनगर को लिखा गया है। श्री अनूप वाबू ने आचार्य श्री से आचार्य श्री की जन्म तारीख और समय बताने का आग्रह किया था किसी ज्योतिषी मित्र के परामर्श से-उसी संदर्भ का है यह पत्र।
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