प्रयोग करें, परिणाम की चिंता नहीं - ओशो
प्रिय आत्मन, प्रणाम,
पूरी मई वाहर रहने से स्वास्थ्य पर कुछ बुरा असर हुआ। इसलिए जून में आ योजित वंबई, कलकत्ता और जयपुर के सारे कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं। समाधि योग पर आप प्रयोग कर रहे हैं यह जान कर प्रसन्नता हुई। परिणाम की नहीं, प्रयोग की ही चिंता करें; परिणाम तो एक दिन आ ही जाता है, वह अनुक्रम से नहीं , अनायास से आता है, ज्ञात भी नहीं पड़ता है, और उनका आगमन हो जाता है औ र एक क्षण में जीवन कुछ से कुछ हो जाता है। भगवान महावीर पर अभी नहीं लिख रहा हूं। लिखने के प्रति मुझमें कोई प्रेरणा ही न हीं है। आपकी जबरदस्ती से कुछ हो सके तो बात दूसरी है। शेष शुभ।
रजनीश के प्रणाम
३ जून १९६३ प्रति : लाला सुंदरलाल, दिल्ली
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