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    मौन चित्त के बर्तन को साफ करता है - ओशो

    Silence-clears-the-pot-of-mind-Osho

    मौन चित्त के बर्तन को साफ करता है - ओशो 

              एक साधु ने अपने शिष्य को कहा था, तुम जाओ, जो तुम मेरे पास नहीं समझ सके , वह मेरा एक मित्र है, उसके पास जाकर समझो। वह उसके मित्र के पास गया है। देखकर हैरान हुआ कि जहां उसे भेजा गया है, वह तो एक सराय का रख वाला है। जाते से उसका मन यह हुआ कि सराय के रखवाले से मैं क्या सीखूगा। लेकिन ि फर भी भेजा गया हूं तो वह रुका। उसके गुरु ने कहा था कि तुम सुबह से शाम त क देखना कि वह क्या करता है। उसकी पूरी चर्या को समझना। उसकी पूरी चर्या उ सने समझी। वह तो सराय का नौकर था, सराय का काम मरता था। दो चार दिन बाद वापस लौटने लगा। वह तो पाने को कुछ भी नहीं था। लेकिन उसने सोचा कि मुझे पता नहीं कि रात को सोते वक्त कुछ करता हो। सूबह अंधेरे में जाग आता ह । उस वक्त कुछ करता हो। उसने चलते वक्त उससे पूछा कि क्या मैं यह पूछू कि रात को सोते समय आप क्या करते हैं? और सुबह जागकर क्या करते हैं? उसने कहा, दिन भर से सराय के ब र्त गंदे हो जाते हैं, रात सोते वक्त उनका झाड़ पोंछ कर साफ करके रख देता हूँ। फिर रात भर में धूल जम जाती है। सुबह उठकर फिर उनको साफ कर देता हूं। उ सने सोचा कि कहां के पागल के पास मुझे भेज दिया। जो केवल सराय का रखवाला है और बर्तन साफ करता है।

              वह वापस लौट आया। उसने अपने गुरु को कहा। गुरु ने कहा कि उसकी बात तो पूरी थी, अगर तुम समझते। उसने कहा कि दिन भर में बर्तन गंदे हो जाते हैं, सांझ में साफ कर लेता हं, रात भर में फिर थोड़ी बहूत धूल जम जाती है। सुबह फिर साफ कर लेता हूं। यही तो कुल जमा करना है। वह चित्त हमारा दिन भर में गंदा हो जाता है। उसे रात सोते वक्त साफ कर लें, उसे पोंछ डालें और सुबह सपने फिर रात भर में कुछ गंदा कर देंगे। सुबह फिर उसे पोंछ डालें। कैसे पोंछेगे? क्योकि मकान पोछना तो हमें मालूम है, लेकिन चित्त को कैसे पोंछेगे?

               चित्त को कैसे साफ करेंगे? कौन सा जल है जो चित्त के बर्तन को स फि करेगा? मैं आपको कहूं, मौन-मौन चित्त को साफ करता है। जो जितना ज्यादा मौन में प्रवि ष्ट होता है, उतना उसके चित्त का बर्तन साफ हो जाता है। मौन के जल से चित्त के बर्तन धोए जाते हैं। लेकिन हम मौन रहना भूल गए हैं। हम एक दम बोले जा र हे हैं, दूसरों से या अपने से। हम चौबीस घंटे बातचीत में लगे हुए हैं, अपने से या दूसरों से। सोते समय तक भी बातचीत करते हैं, उठते ही हम फिर बातचीत में ल ग जाते हैं। हम बातों से घिरे हुए हैं। मौन हम भूल गए हैं। इस संसार में अगर को ई चीज खो गई है तो मौन खो गया है और जहां मौन खो जाएगा. वयं जीवन में जो भी श्रेष्ठ है, वह खो जाएगा क्योंकि सब श्रेष्ठ मौन से जन्मता है, साइलेंस से पैदा होता है।

    - ओशो 


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