• Recent

    वही व्यक्ति संवेदनशील हो सकता है, जिसका मन शून्य हो - ओशो

    The-same-person-can-be-sensitive-whose-mind-is-zero-Osho
    ओशो 

    वही व्यक्ति संवेदनशील हो सकता है, जिसका मन शून्य हो - ओशो 

              मैं एक मित्र को लेकर, एक पहाड़ी पर गया हुआ था। पूर्णिमा की रात थी, हमने न दी में देर तक नाव पर यात्रा की। वे मेरे मित्र स्विटजरलैंड होकर लौटे थे। जब त क हम उस छोटी सी नदी में, उस छोटी सी नौका पर थे, तब तक वे स्विटजरलैंड की बातें करते रहे, वहां की झीलों की, वहां के चांद की, वहां के सौंदर्य की। कोई घंटे भर बाद हम वापस लौटे तो बोले, बहुत अच्छी जगह थी जहां आप मुझे ले गए । मैंने उनसे कहा, क्षमा करें, आप वहां पहुंचे नहीं। मैं तो आपको ले गया, आप व हां नहीं पहुंचे। मैं तो वहां था, आप वहां नहीं थे। वे बोले, मतलब? मैंने कहा, आप स्विटजरलैंड में रहे। और मैं आपको यह भी कह दूं, जब आप स्विटजरलैंड में रहे होंगे, तब आप वहां भी नहीं रहे होंगे, क्योंकि मैं आपको पहचान गया, आपकी वृत्ति को पहचान गया। तब आप कहीं और रहे होंगे।

              हम करीब-करीब सोए हुए हैं। जो हमारे सामने होता है, वह हमें दिखायी नहीं पड़ ता है। जो हम सुन रहे हैं, वह हमें सुनायी नहीं पड़ता। मन किन्हीं और चीजों से भरा रहता है। वही व्यक्ति संवेदनशील हो सकता है, जिसका मन शून्य हो। चांद के करीब जिसका मन बिलकुल शून्य है वह चांद के सौंदर्य को अनुभव कर लेगा। फूल के करीब जिसका मन बिलकुल शून्य हैं वह फूल के सौंदर्य को अनुभव कर लेगा। अगर मैं आपके पास हूं और मैं बिलकुल शून्य हूं, तो मैं आपके भीतर जो भी है उसे अनुभव करूंगा। अगर कोई व्यक्ति परम शून्य को उपलब्ध हो गया है, तो इस जगत के भीतर जो भी छिपा है, उसमें उसकी गति और प्रवेश हो जाएगा।

    -ओशो 

    कोई टिप्पणी नहीं