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    राजनीतिज्ञों के हाथ में दुनिया का होना शुभ नहीं है - ओशो


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    राजनीतिज्ञों के हाथ में दुनिया का होना शुभ नहीं है

              क्या आपको पता है, टूमने की आज्ञा से हिरोशिमा और नागासाकी में एटम बम गि रा। दूसरे दिन सुबह पत्रकारों ने टूमेन से पूछा, आप रात को ठीक से सो सके? एक लाख आदमी मर गए थे, स्वाभाविक था कि टूमेन की नींद रात में खराब हुई होत ी, लेकिन टूमेन ने कहा, मैं बहुत आनंद से सोया। सच तो यह है, उसने कहा, इधर तीन चार वर्षों में इतनी शांति से मैं कभी नहीं सोया। एक लाख आदमियों को मार कर अगर हमारे राजनीतिज्ञ शांति से सो सकते हैं तो इन राजनीतिज्ञों के हाथ में दुनिया का होना शुभ नहीं कहा जा सकता। और राजनीतिज्ञ के हाथ में दुनिया हजारों वर्ष से है और राजनीति बिना युद्ध के न तो जी सकती है और न जी है। जिस दिन दुनिया से युद्ध समाप्त होंगे, उस दिन राजनीति का भाव भी समाप्त हो जाएगा। इसलिए यह बहुत स्वाभाविक है कि राजनीतिज्ञ युद्ध को जारी रखे, युद्ध क ो बनाए रखे, उसे जिंदा रखे।

             इस संबंध में विचार करना इसलिए बहुत-बहुत आवश्यक हो गया है, क्योंकि पिछले दिनों में राजनीतिज्ञ युद्ध से जो नुकसान पहुंचा सकते थे, इतने बड़े नहीं थे, लेकिन अब तो वे पूरी मनुष्य जाति को नष्ट कर सकते हैं। एक छोटी सी कहानी कहूं और फिर अपनी चर्चा को शुरू करूं। यह कहानी मैंने मुल्क के कोने-कोने में कही हैं। एक बिलकुल झूठी कहानी है।

              एक बहुत बड़े महल के बाहर बड़ी भीड़ थी। भीतर कुछ हो रहा था, उसे जानने क । सैकड़ों बड़ी भीड़ इकट्ठे थे। लेकिन वे साधारण जन नहीं थे। जो बाहर इकट्ठे थे, वे स्वर्ग के देवी और देवता थे और जो महल था वह खुद भगवान का महल था। भी तर वहां कोई बात चली थी, जिसको सुनने के लिए सारे लोग उत्सुक थे। उस बात
    पर बहुत कुछ निर्भर था। मैंने कहा, कहानी बिलकुल झूठी है, फिर भी बहुत अर्थपूर्ण है। भीतर ईश्वर का दरबार लगा हुआ था। और तीन आदमी दरबार में खड़े थे। ईश्वर ने उन तीन आदमियों से पूछा, मैं बहुत हैरान हो गया हूं, मनुष्य को बनाक र मैं बहुत परेशान हो गया हूं। मैंने सोचा था, मनुष्य को बनाकर दुनिया में एक आ नंद, एक शांति, एक संगीत पूर्ण विश्व का जन्म होगा। जमीन एक स्वर्ग बनेगी। ले कन मनुष्य को बनाकर भूल हो गयी। जमीन एक स्वर्ग बनेगी। लेकिन मनुष्य को बन कर भूल हो गयी। जमीन रोज नर्क के करीब होती जा रही है और ऐसा वक्त आ सकता है, नर्क में जो लोग पाप करें, उन्हें हमें जमीन पर भेजना पड़े।

              इसलिए ईश्वर ने कहा, मैं बहुत परेशान हूं और तुम्हें इसलिए बुलाया है कि मैं तुमसे पूछ सकू क क्या कोई उपाय मैं कर सकता हूं जिससे कि दुनिया ठीक हो जाए? वे तीन लोग तीन बड़े देशों के प्रतिनिधि थे-अमरीका, रूस और ब्रिटेन के। अमरीका के प्रतिनिधि ने कहा, दुनिया अभी ठीक हो जाए। एक छोटी सी आकांक्षा हमारी पू री कर दें। ईश्वर ने उत्सुकता से कहा, कौन सी आकांक्षा? अमरीका के प्रतिनिधि ने कहा, हे परमात्मा, जमीन तो रहे, लेकिन जमीन पर रूस का कोई निशान न रह जाए। इतनी सी आकांक्षा पूरी हो जाए, फिर और कोई तकलीफ नहीं, फिर और कोई कष्ट नहीं, फिर सब ठीक हो जाएगा और जैसा चाहा है दुनिया वैसी हो सकेगी

              ईश्वर ने बहुत वरदान दिए थे। ऐसे वरदान देने का उसे कोई मौका नहीं आया था। उसने रूस की तरफ देखा, रूस के प्रतिनिधि ने कहा कि महानुभाव, एक तो हम मनते नहीं कि आप हैं। १९१७ के बाद हमने अपने मंदिरों और मस्जिदों और चर्चों से निकालकर आपको बाहर कर दिया है। लेकिन हम पुनः आपकी पूजा शुरू कर देंगे और फिर आपके मंदिरों में दिए जलाएंगे और फूल चढ़ाएंगे। एक छोटी सी आकां क्षा अगर पूरी हो जाए तो वही प्रमाण होगा ईश्वर के होने का। ईश्वर ने कहा, कौ न सी आकांक्षा? उसने कहा, हम चाहते हैं कि जमीन का नक्शा तो रहे, लेकिन अ मरीका के लिए कोई रंग न रह जाए। ईश्वर ने हैरानी में और घबड़ाकर ब्रिटेन की तरफ देखा। ब्रिटेन के प्रतिनिधि ने कहा हे परम पिता, हमारी अपनी कोई आकांक्षा नहीं। इन दोनों की आकांक्षाएं एक साथ पूरी हो जाए तो हमारी आकांक्षा पूरी हो जाए।

    - ओशो 

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