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    दुनिया में हमेशा पंडित धार्मिक आदमी के विरोध में रहा है- ओशो

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    दुनिया में हमेशा पंडित धार्मिक आदमी के विरोध में रहा है-  ओशो 

              श्रद्धा वाले धार्मिकों ने सारी दुनिया को नष्ट किया है। उनका पूरा इतिहास खून खराबो, बेईमानी, अत्याचार, आक्रमण और हिंसा से भरा हुआ है। क्योंकि श्रद्धा हमेशा किसी न किसी के विरोध में खड़ा कर देती है। एक मुसलमान की श्रद्धा उसे हिंदू के विरोध में खडाकर देती है। एक हिंदू की श्रद्धा उसे ईसाई के विरोध में खड़ा कर देती है। एक जैन की श्रद्धा उसे बौद्ध के विरोध में खड़ा कर देती है।

              लेकिन खयाल करें, जिज्ञास किसी के विरोध में किसी को खड़ा नहीं करती। इसलिए श्रद्धा किसी भी हालत में धार्मिक आदमी का लक्षण नहीं हो सकता है। जिज्ञासा किसी के विरोध में किसी को खड़ा नहीं करती, यही वजह है कि साइंस, जो कि श्रद्धा पर नहीं खड़ी है, जिज्ञासा पर खड़ी है, एक है, पच्चीस तरह की साइंसेज नहीं है। हिंदुओं की अलग केमिसट्री, मुसलमानों की अलग केमिस्ट्री नहीं है। हिंदुओं का अलग गणित, जैनों का अलग गणित नहीं है। साइंस एक है, क्योंकि साइंस श्रद्धा पर नहीं, जिज्ञासा पर खड़ी है। धर्म भी दुनिया में एक होगा, अगर वह श्रद्धा पर नहीं, जिज्ञासा पर खड़ा हो। और जब तक धर्म अनेक हैं, तब तक धर्म के नाम पर झूठ बात चलती रहेगी। बीच में एक महिला की आवाज : क्रोध में:

              अलग-अलग धर्म होगे, तब तक इस तरह का गुस्सा आना स्वाभाविक है। लेकिन में गुस्सा नहीं करूंगा, क्योंकि मेरी कोई श्रद्धा नहीं है। जिसकी श्रद्धा होती है, वह गुस्से में जा सकता है। कमजोरी है श्रद्धा की, और दुनिया में जितने श्रद्धालु हैं, कुछ जल्दी गुस्से में आ जाते हैं, मेरी कोई श्रद्धा नहीं है, इसलिए मुझे गुस्से में लाना बहुत मुश्किल है। और दुनिया में मैं ऐसे लोग चाहता हूं, जो जल्दी गुस्से में न आए, ऐसे लोगों से धार्मिक दुनिया निर्मित होगी।

              अभी तक तो जो कुछ इतिहास में हुआ है , धर्म के नाम से जो कुछ हुआ है, वह अधर्म हुआ है। धर्म के नाम से जो भी प्रचारत किया गया, वह सब झूठ है। बिलकुल असत्य है। और उस असत्य को जबर्दस्ती लादने की हजार-हजार चेष्टाएं की गई है। लेकिन अगर कोई मनुष्य जिज्ञासा से प्रारंभ करे तो स्वाभाविक है कि वे सारे धार्मिक लोग, जिनका व्यवसाय, जिनका धंधा केवल श्रद्धा पर खड़ा है, परेशान और गुस्से से में आ जाएंगे। इसलिए दुनिया में जब भी कोई धार्मिक आदमी पैदा होता है तो पुरोहित और ब्राह्मण और पंडित हमेशा उसके विरोध में खड़े हो जाते है।

              क्राइस्ट को जिन्होंने सूली दी ये पुरोहित, पंडित और धार्मिक लोग थे। सुकरात को जिन्होंने दिया जहर वे धार्मिक, पुरोहित, विचार शील लोग पंडित थे। दुनिया में हमेशा पंडित धार्मिक आदमी के विरोध में रहा है। दुनिया में हमेशा पूरोहत धार्मिक आदमी के विरोध में रहा है। क्यों? क्योकि धार्मिक आदमी सबसे पहले इस बात पर चेष्टा करेगा कि धर्म के नाम पर बना हुआ जो भी प्रचारित संगठन है, धर्म के नाम से जो भी धार्मिक संप्रदाय है. धर्म के नाम पर जो भी झूठे विश्वास, अंध श्रद्धाएं फैलायी गयी हैं, वे नष्ट कर दी जाए। अगर क्राइस्ट फिर से पैदा हों तो सबसे पहले जो उनके विरोध में खड़े होगे, वह ईसाई पुरोहित और पावरी होंगे। अ गर कृष्ण फिर से पैदा हों तो सबसे पहले उनके विरोध में जो खड़ा होंगे वे, वे ही लोग होगे जो गीता का प्रचार करते हैं और गीता को प्रचारित हुआ देखना चाहते हैं। अगर बुद्ध वापस लौटे तो बौद्ध भिक्षु उनके विरोध में खड़े जो जाएंगे। यह बिल कुल स्वाभाविक है, क्योंकि धर्म एक तरह का विद्रोह है।

    - ओशो 

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