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    आदमी दूसरे आदमी को सुखी देखने के लिए उत्सुक नहीं है - ओशो

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    आदमी दूसरे आदमी को सुखी देखने के लिए उत्सुक नहीं है 

    एक मुसलमान फकीर था, बायजीद। वह बहुत परेशान था इस बात से कि ईश्वर ने नर्क बनाया ही क्यों? उसे यह परेशानी थी कि ईश्वर जो इतना दयालु है, उसने भी नर्क क्यों बनाया उसने एक रात ईश्वर से प्रार्थना की कि मैं तो समझने में असमर्थ हूं, अगर तू ही मुझे बता सके कि तूने नर्क क्यों बनाया, इतना बुरा नर्क क्यों बनाया।

            वह रात सोया, उसे एक सपना आया। निरंतर सोचने के कारण ही वह सप ना उसे आया होगा। उसने सपना देखा, वह स्वर्ग में गया है। वहां चारों तरफ संगी त ही संगीत है और आनंद ही आनंद है। वहां दरख्तों के ऊपर सुंदर फूल हैं, वहां चारों तरफ सुगंध है। लोग बड़े स्वस्थ है। वह जब पहुंचा तो स्वर्ग के लोग भोजन कर रहे थे, घरों-घरों में भोजन चल रहा थ T। उसने कई घरों में झांककर देखा, एक बात से वह बहुत परेशान हुआ। लोगों के हाथ बहुत लंबे हैं, लोगों के शरीर तो बहुत छोटे हैं, लेकिन हाथ बहत लब हैं. इस लए भोजन करने में उन्हें बड़ी तकलीफ होती है। उठाते हैं तो उनको मुंह तक ले जाने में बड़ी अड़चन है, मुंह तक खाना जा नहीं पाता। लेकिन फिर लोग स्वस्थ हैं तो वह हैरान हुआ। उसने जाकर देखा, उसने देखा, घर-घर में लोग एक दूसरे को खाना खिला रहे हैं। खुद तो खा नहीं सकते, उनके हाथ बहुत लंबे हैं, ते एक आद मी दूसरे आदमी को खाना खिला रहा है।

            फिर वहां से वह नर्क गया। नर्क में देखा उसने, वहां भी हाथ उतने ही लंबे है, दरख त उतने ही सुंदर हैं और फूल खिले हुए हैं। वहां भी सूगंध है, वहां भी सब ठीक है , लेकिन लोग बिलकुल दुर्बल और परेशान और पीड़ित हैं। वह हैरान हुआ। उसने दे खा, वहां हर आदमी अपना खाना खाने की कोशिश कर रहा है और बगल वाला न खा पाए, इसकी कोशिश भी कर रहा है। खुद के हाथ लंबे हैं, इसलिए खुद के मुंह तक नहीं पहुंचते इसलिए कोई आदमी खाना नहीं खा पा रहा है और किसी तरह थोड़ा बहुत खाना पहुंच भी जाए तो दूसरे लोग उसे धक्का दे रहे हैं । उसकी वजह से उसके पास खाना नहीं पहुंच पा रहा है। उसने देखा, स्वर्ग और नर्क ते बिलकुल एक जैसे हैं, लोग थोड़े अलग-अलग हैं। नर्क में कोई आदमी दूसरे आदमी को सुखी देखने के लिए उत्सुक नहीं है। हर आदमी दूसरे आदमी को दुख देना चाह रहा है। हम सारे लोग भी एक दूसरे को दुख देना चाह रहे हैं।

    - ओशो 

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