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    "ईश्वरीय कण" कितना ईश्वरीय


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    "ईश्वरीय कण" कितना ईश्वरीय

                     "ईश्वरीय" कण कितना ईश्वरीय .यह प्रश्न अब हरएक व्यक्ति के मस्तिष्क में उठ रहा है कि 'गॉड पार्टिकल " के नाम से प्रचलित मूलभूत कण  क्या वास्तव में यही ईश्वर है या कुछ और. वैज्ञानिकों ने इस मूलभूत कण का नाम हिग्सबोसान कण रखा जो कि ब्रिटिश नागरिक डा.हिग्स और भारतीय वैज्ञानिक डा. सत्येन बोस के नाम पर आधारित है. पिछली शताब्दी में मूलभूत कणों के विषय में बहुत खोजें हुई और उन्हें खोज भी लिया गया. मूल कण वे कण है जो अन्य किसी कण से नहीं बने हैं. इन कणों में उल्लेखनीय कण जैसे क्वार्क , लेपटोन (जैसे - न्यूट्रिनो , इलेक्ट्रान , म्यु आन आदि.) तथा कुछ बोसान कण हैं. इन कणों के द्वारा भौतिकी का स्टैंडर्ड माडल बनाया गया. इसके स्टैंडर्ड माडल के द्वारा ब्रह्माण्ड के कार्य-कलाप को समझाने में मदद मिली. यानि कि कैसे ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ ? पृथ्वी इत्यादि ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ ? क्रमिक रूप से ये कैसे विकसित हुई ?
                          इस कण को जब खोजा गया तो यह कहा जाने लगा कि इस विराट वैज्ञानिक उपलब्धि के बाद मनुष्य ईश्वर के करीब पहुँच गया है. यह कण ब्रह्माण्ड की कहानी समझाएगा. इस कण को ईश्वरीय कण के नाम से भी विहित किया जाने लगा क्यों कि यह लाखों एटम बम कि ताकत वाला कण है यह सूक्ष्म कणों का देवता है. इस कण को जिसे वैज्ञानिक नाम हिग्स बोसन कण दिया गया है , एक मूल प्रारम्भिक कण कहा गया है वैज्ञानिकों और आम व्यक्ति के मन में यह प्रश्न सदियों से उठता रहा है कि यह ब्रह्माण्ड अस्तित्व में आया कैसे ? इसकी रचना कैसे हुई और इसके लिए कौन जिम्मेवार है ? इसका संचालन किस प्रकार से हो रहा है ? वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्माण्ड के निर्माण में कणों कि अहम् भूमिका है.  बिग-बैंग सिद्धांत जिसे सबसे अधिक मान्यता मिली है यह बताता है की 14 खरब वर्ष पहले एक विस्फोट हुआ था उसके बाद  ब्रह्माण्ड का विस्तार होना आरंभ हुआ था और उर्जा कण चारों ओर फ़ैल रहे थे कालांतर में जब ये ठन्डे होने शुरू हुए तो ये उर्जा कण पदार्थ में परिवर्तित होने लगे . वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन के दौरान यह पाया कि कुछ कण अधिक भार युक्त हैं और कुछ कम भारी हैं तथा कुछ में तो बिलकुल भी भार नहीं हैं . उनके अनुसार ऐसा कोई कण जरूर है जो इन कणों को भार प्रदान करता है. और इसीलिए सभी कणों में अंतर पाया जाता है. आगे अध्ययन से  यह ज्ञात हुआ कि क्वार्क और लेप्टान नमक मूलभूत कणों से पदार्थ कि रचना हुई है और जो कण इन्हें भार प्रदान करता है वह यही हिग्स बोसन कण है. जिसे गॉड पार्टिकल भी कहा गया.
                           वैज्ञानिकों कि धारणा है कि इसी कण के कारण आरम्भिक द्रव्य इस स्थिति को प्राप्त हो सके जिससे कि ब्रह्माण्ड की रचना हो सकी .वैज्ञानिक कहते हैं कि पदार्थ ऊर्जा का ही दूसरा रूप है ऊर्जा का कोई द्रव्यमान नहीं होता अर्थात भार नहीं होता जब कि पदार्थ द्रव्यमान युक्त होते हैं जिसके कारण यह ब्रह्माण्ड अस्तित्व में आया. उन्हें यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि इन पदार्थों को कौन द्रव्यमान प्रदान कर रहा है क्यों कि यदि द्रव्यमान न हो तो समस्त कण या पदार्थ प्रकाश के वेग से भटकते रहेंगे. इस सम्बन्ध में 1964 में पीटर हिग्स ने हिग्स कण कि परिकल्पना की , जिसमे यह कहा गया कि ब्रह्माण्ड में सब जगह , शून्य में भी हिग्स उर्जा क्षेत्र और हिग्स कण व्याप्त हैं (इस दृष्टि से यदि इसे ईश्वर कण या गॉड पार्टिकल का नाम दिया जाना अनुचित नहीं है.) समस्त दिक् (स्पेस) , शून्य में भी एक क्षेत्र (फील्ड) है जिसे हिग्स फील्ड कहते हैं जो उपयुक्त दशाओं में पदार्थों में द्रव्यमान देता है .
                          इस सृष्टि के लिए पदार्थों में द्रव्यमान का होना आवश्यक है. हिग्स के अनुसार इस फील्ड में जब भी कोई कण गतिमान होता है तो उस गति का विरोध इस फील्ड द्वारा  होता है कुछ इस प्रकार कि जैसे हवा में वस्तु के चलने पर विरोध होता है. हिग्स क्षेत्र का यह विरोध ही उस कण का द्रव्यमान है. जो हिग्स क्षेत्र में प्रतिक्रिया करने पर प्राप्त हुआ है. इसका मतलब यह हुआ कि यदि यह हिग्स क्षेत्र नहीं होता तो हम समझ ही नही पाते कि पदार्थों में द्रव्यमान कहाँ से आता है. हिग्स क्रियाविधि से पदार्थों में द्रव्यमान आता है जिससे उनमें गुरुत्व बल आता है इसे इस प्रकार से समझा जा सकता है कि मान लीजिये कि हिग्स क्षेत्र शहद से भरा है . अब जो भी कण इसके संपर्क में आयेगा तो उसकी क्षमता के अनुसार उस पर शहद चिपक जायेगा . और उसका द्रव्यमान बढ़ जायेगा . यह हिग्स बोसान  कण भौतिकी के अनेक प्रश्नों के सही उत्तर दे रहा है इसलिए भौतिकी के विकास के लिए इसका महत्वपूर्ण स्थान है . अब तक सभी मूल कण देखे और परखे जा चुके हैं , लेकिन हिग्स बोसान कण अभी तक ज्ञात नहीं हो सका था . 4 जुलाई 2012 ई. को जिस कण को देखने कि चर्चा हुई उसकी उर्जा 125.3 GeV थी जो प्रोटोन से 133 गुना अधिक थी.  ब्रह्मांड में व्याप्त हर वस्तु के आकार और द्रव्यमान का कारक ईश्वरीय कण यानी हिग्स बोसोन सब कुछ तबाह भी कर सकता है . यह चेतावनी दी है प्रख्यात भौतिकविद स्टीफन हाकिंग ने . ७२ वर्षीय हाकिंग का कहना है कि ब्रह्मांड को स्वरूप और आकार देने वाले इस ईश्वरीय कण के गुणधर्म बेहद चिंताजनक हैं . इसमें पूरे ब्रह्मांड को तबाह करने की ताकत है . हाकिंग की इस चेतावनी से विज्ञान जगत में खलबली मच गई है . इस कण से विज्ञान के किन-किन रहस्यों को समझा जा सकेगा यह अभी देखा जाना बाक़ी है.

     - ओशो बिपिन