सिद्धार्थ उपनिषद Page 172
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ओशो का अध्यात्मिक साहित्य हमारी संपदा तो है ही, ओशोधारा का अपना अध्यात्मिक साहित्य भी धीरे-धीरे विराट होता जा रहा है. साधकों के लिए विशेष रूप से तीन पुस्तकों का जिक्र करना चाहूंगा. "सम्पूर्ण अध्यात्म" दूध कि तरह है. इसमें साधना का लगभग सम्पूर्ण विवरण है. मुर्शिद वाणी के अंतर्गत रूहानी गजलों की अब तक ४ किताबें प्रकाशित हुई हैं, और आगे भी इस श्रंखला में ६ किताबें प्रतिवर्ष प्रकाशित करने की योजना है. "मुर्शिद वाणी" को दही की संज्ञा दी जा सकती है. "सिद्धार्थ उपनिषद" मक्खन की तरह है. इसमें साधना के अति महत्वपूर्ण सूत्र दिए गए हैं.(466)
परंपरा से जो विचार मिलता है, उसे संस्कार कह सकते हैं. चिंतन (जानकारी या किताबी ज्ञान पर आधारित सोच) से जो विचार बनता है, उसे विश्वास कह सकते हैं. मनन (अनुभव के आधार पर सोच ) से प्राप्त विचार धारणा है.(467)
ज्ञाता का अनुभव ध्यान है. ज्ञेय का अनुभव सुमिरन है. ज्ञान का अनुभव समाधि है. ज्ञाता के साथ तादात्म्य तथाता है. ज्ञाता के साथ सदा के लिए तादात्म्य आत्मज्ञान है.Page - 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20