सिद्धार्थ उपनिषद Page 152
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बगिया में कोई फूल खिल जाए , हजारों फूलों के खिलने कि संभावना हो जाती है . जैसे पतझड के बाद किसी डाली पर पहली पत्ती उगती है और हजारों-हजारों पत्तियों के उगने की संभावना पैदा हो जाती है . ऐसे ही किसी का जागना , किसी का जागरण , किसी की सम्बोधि , किसी का बुद्धत्व , हजारों-हजारों व्यक्तियों के खिलावट की सूचना देता है . संत का यही काम है वो आता है जगाने के लिए . दरिया साहब कहते हैं-- " दरिया सोता सकल जग , जागत नाहिं कोय . जागे में फिर जागना , जागत कहिये सोय . " सारा संसार सोया हुआ है , कोई जागने को तैयार नहीं है . जागे और सोए में बड़ा भेद है . एक जागी हुई जिंदगी क्या होती है इसका अंदाजा अभी शायद नहीं कर पाओगे . धीरे-धीरे ओशोधारा के कार्यक्रम की तरफ बढ़ते हुए जब 27 वें तल ' परमपद ' पर पहुंचोगे , तो गुलाल साहब की तरह कह उठोगे-- " मौजे-मौज हमार . " फिर तो हर घड़ी मौज की घड़ी होती है , हर घड़ी प्रभु से मिलन कि घड़ी होती है , हर घड़ी प्रभु से संवाद की घड़ी होती है , हर घड़ी प्रभु से प्रेम की घड़ी होती है , हर घड़ी एक तृप्ति की घड़ी होती है , हर घड़ी एक आनंद की घड़ी होती है , जैसे कि एक प्रेम की फुहार हर क्षण पड़ रही हो , जैसे कि फूल ही फूल खिल रहे हों समूचे जगत में .