सिद्धार्थ उपनिषद Page 147
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डायबिटीज के लिए अब एक वरदान आ गया है श्री (Shri) . यह क्लासिक होमिओपैथी से दस गुना ज्यादा प्रभावशाली है . और बहुत शीघ्र ही ये सारी बीमारियों को ठीक कर सकती है .(432)
" कर्म प्रधान विश्व कर राखा , जो जस करे सो तस फल चाखा . "
विश्व की रचना कार्मिक नियम के आधार पर हुई है . ऐसा नहीं है कि कोई हमारा भाग्य लिखता है , जिस नियम से ये जगत ये सृष्टि चल रही है उस नियम का नाम कार्मिक नियम है . जैसे कोई भी खेल हो तो खेल का एक नियम होता है . और उस खेल को खेलने वाले सभी पर वह नियम लागू होता है . ऐसा नहीं है कि सचिन तेंदुलकर पर क्रिकेट का नियम लागू नहीं होगा हां वह निर्णय ले सकता है कि मैं अब क्रिकेट नहीं खेलूंगा . अब उस पर क्रिकेट का नियम लागू नहीं होगा . अब वह क्रिकेट खेल ही नहीं रहा है तो उस पर नियम कैसे लागू होगा .
तो संत या बुद्धपुरुषों का ये मतलब हुआ कि अब वे डिसाइड कर सकते है कि अगला जन्म लें कि न लें , खेल खेलें कि न खेलें ये उनकी स्वतंत्रता है . पर बाकी लोगो के लिए यह स्वतंत्रता नहीं है उन्हें यहां आकार खेलना ही है , जीवन का नया पाठ सीखना ही है . और जब यहां पर आयेंगे तो वही नियम लागू होगा . यदि आपने किसी को सताया है तो फिर आप खुद अनुभव करिये कि कोई आपको सताता है तो आप पर क्या बीतती है . ऐसा नहीं है कि सजा के लिए तुमको सताया जाता है . नहीं ! तुम सीखोगे तुमने जो दूसरे का शोषण किया , डराया ,धमकाया , हिंसा की , उस पर क्या बीती ? अब अपने अनुभव से तुम सीखो , इसका नाम कार्मिक नियम है .
क्योंकि वह जगत (spirit world)है प्रबंधन का , बहुत करुणावान है . उसका उद्देश्य हमें सताना नहीं है हमें सिखाना है . ये जगत पाठशाला है यहां हम आते हैं सीखने के लिए -- धैर्य का पाठ , कभी आनंद का पाठ , कभी चैतन्यता का पाठ , सरलता का पाठ , दया का पाठ , संतोष का पाठ . और अंतिम पाठ है प्रेम का पाठ सबके प्रति प्रेमपूर्ण . ये अंतिम पाठ है जिस दिन ये पाठ तुमने पढ़ लिया पी एच डी हो गई . अब तुमको पाठ सीखने के लिए यहां आने की जरुरत नहीं है . अब तुम मुक्त हो , अब तुम डिसाइड कर सकते हो कि जगत का खेल खेलें कि न खेलें . लेकिन अगर तुम आ गए जगत में तो कार्मिक नियम तुम पर लागू हो जाएगा .