सिद्धार्थ उपनिषद Page 143
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तुमने कभी पूछा नहीं की किस मार्ग से ले चल रहे हैं आप सबको? लेकिन मैं बताना इसलिए चाहता हूँ की जरा खेल आसान हो जाएगा.अब तक २ ही मुख्य मार्ग रहे- निवृत्ति और प्रवृत्ति मार्ग.
निवृत्ति मार्ग का मतलब है- बाहर जो कुछ भी है ....................छोडो- परिवार छोडो, संसार छोडो.. और छोड़ते-छोड़ते वहां पहुँच जाओ जहाँ छोड़ने को कुछ बाकी नहीं रह जाता. और वहीँ हमारी आत्मा है.आत्मा को कैसे छोड़ सकते हो?
प्रवृत्ति मार्ग क्या है? पकड़ते जाओ- पकड़ते जाओ- इतनी दूर निकल जाओ पकड़ते हुए की पकड़ने को कुछ बाकी न बचे. परमात्मा को ही पकड़ लिया तुमने.